नई दिल्ली. हाल ही में संपन्न हुई जी20 की बैठक में एक फैसला हुआ है जो चिकन खाने वालों के लिए अच्छा साबित होगा. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चिकन बेचने को लेकर भारत और अमेरिका के बीच एक एग्रीमेंट साइन हुआ है. जिसके मुताबिक अब अमेरिका अपना पोल्ट्री प्रोडक्ट भारत के बाजारों में बेच सकेगा. पोल्ट्री के जानकारों की मानें तो बाजार में चिकन खाने वालों के हिसाब से ये एक बड़ा कदम है. यदि ऐसा होता है तो भारत के बाजार में चिकन लेग पीस सस्ते रेट पर बिकेगी. हालांकि ब्रॉयलर मुर्गे का पालन करने वालों के लिए ये किसी झटके से कम नहीं है. जबकि भारत में पोल्ट्री कारोबार को हर साल तेजी से बढ़ने वाला कारोबार माना जाता है. बता दें कि जी-20 की बैठक के दौरान ये चर्चा सामने आई थी कि अमेरिका लेग पीस भारत को बेचेगा. जबकि समझौता टर्की बर्ड पर लगी एक्साइज ड्यूटी को लेकर हुआ है जबकि उसका चिकन से कोई संबंध नहीं.
बहुत बड़ा है पोल्ट्री का बाजार
यही वजह है कि अकेले पोल्ट्री बाजार में ही रोजाना 22 से 25 करोड़ अंडों का कारोबार किया जाता है. बताते चलें कि सिर्फ दिल्ली-एनसीआर की गाजीपुर मंडी से ही रोजाना पांच लाख मुर्गों की सप्लाई की जाती है. जबकि बैकयार्ड पोल्ट्री के तहत देशी मुर्गे और अंडों का कारोबार अलग से हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका और भारत के बीच पोल्ट्री कारोबार को लेकर जो एग्रीमेंट हुआ है उसके तहत अब अमेरिका के पोल्ट्री प्रोडक्ट भारत के बाजारों में बिकेंगे. पोल्ट्री एक्सपर्ट के मुताबिक अमेरिका से चिकन लेग पीस ज्यादा आने की उम्मीद है. भारतीय किसान यूनियन (शहीद भगत सिंह) ने भी इस मामले में एक ट्वीट किया है.
अमेरिका में नहीं है लेग पीस की डिमांड
इस बारे में जानकारी देते हुए पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रेसीडेंट रनपाल डंडाह ने बताया कि अमेरिका में चिकन लेग पीस ज्यादा नहीं खाया जाता है. जबकि चिकन के अन्य पीस की डिमांड ज्यादा रहती है. इस वजह से लेग पीस बच जाता है. उन्होंने कहा कि किसी भी तरह के एग्रीमेंट की जानकारी मुझे नहीं है लेकिन ये सच तो इसे दोनों तरह से देखा जा सकता है. क्योंकि पोल्ट्री के तहत वहां से आने वाले अंडे भारत में आकर काफी महंगे हो जाएंगे. जबकि भारतीय बाजार में अंडे की कीमत छह से सात रुपये तक ही है. इसलिए वहां के बाजार को देखते हुए उम्मीद की जा सकती है कि अमेरिका से लेग पीस भारत के बाजारों में आएगा. क्योंकि ये अमेरिका के पोल्ट्री कारोबारियों की पहली कोशिश होती है कि चिकन के लेग पीस को किसी तरह से खपाया जा सके.
देश में हर महीने खाए जाते हैं 40 करोड़ मुर्गे
वहीं इस मसले को लेकर पोल्ट्री एक्सपर्ट अनिल शाक्या कहते हैं कि देश में हर महीने 40 करोड़ मुर्गे की खपत होती है. वहीं चूजे (चिक्स) बेचने वाली कंपनियां हर महीने ब्रॉयलर पोल्ट्री फार्मर को 40 करोड़ चूजे बेचते हैं और 35 से 40 दिन बाद ये चूजे बाजार में बिकने के लिए तैयार हो जाते हैं. एक आंकड़े के मुताबिक देश में करीब पांच लाख पोल्ट्री फार्मर चिकन के लिए चूजे को ही पालते हैं. वहीं जहां पर चूजे पाले जाते हैं वहां पर एक फार्म पर एवरेज पांच कर्मचारी कार्यरत होते हैं. फार्म में जरूरत के हिसाब से फीड सप्लाई करने वाली कंपनियां, दवाएं और फार्म में उपयोग होने वाले उपकरण बनाने वाली कंपनियां, फीड के लिए मक्का, बाजरा और दूसरे आइटम बेचने वाले लोग इस कारोबार से जुड़े होते हैं. यदि चिकन की ट्रेडिंग और बिक्री करने वालों को भी इसमें शामिल कर लिया जाए तो इस कारोबार से दो से ढाई करोड़ लोग सीधे तौर पर जुड़े होते हैं.
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