Home मछली पालन Fisheries In Winter: जनवरी में पड़ेगी कड़ाके की ठंड ! मछलियों का इस तरह रखें ख्याल तो नहीं होगा नुकसान
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Fisheries In Winter: जनवरी में पड़ेगी कड़ाके की ठंड ! मछलियों का इस तरह रखें ख्याल तो नहीं होगा नुकसान

मछली में कुछ बीमारियां ऐसी हैं जो पूरे मछली के बिजनेस को नुकसान पहुंचा सकती हैं.
तालाब में पाली गई मछली की तस्वीर.

नई दिल्ली. सर्दी के दिनों में मछली पालन करने वाले किसानों को मछलियों का खास ध्यान रखना होता है, नहीं तो मछलियों की ग्रोथ रुक जाती है और मछलियों में मृत्युदर भी दिखाई देती है. इसलिए जरूरी है कि मछलियों का खास ख्याल रखा जाए. फिश एक्सपर्ट कहते हैं कि सर्दी के दिनों में मछलियों की केयर करने में जरा सी भी लापरवाही करने से उनकी ग्रोथ रुक जाती है और इसका मतलब यह है कि इससे बड़ा नुकसान होता है. इसलिए देखभाल करना बेहद जरूरी होता है. फिश एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर इस आर्टिकल में बताई जाने वाली बातों का ध्यान मछली पालक रखते हैं तो उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा और इससे मछलियों की ग्रोथ भी अच्छी होगी. उन्हें ज्यादा फायदा भी होगा.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस बार आईएमडी ने जनवरी के महीने में जबरदस्त ठंड पड़ने की भविष्यवाणी की है. दरअसल, इस बार लालिमा चक्रवात की वजह से भारत में जनवरी के महीने में ज्यादा ठंड पड़ने का अनुमान है. ऐसे में किसानों के लिए यह जाना बेहद जरूरी है कि कैसे मछलियों को सर्दी में होने वाली परेशानियों से बचाया जाए.

पंगेशियस मछली को कितना दें फीड
अगर आप पंगेशियस मछली का पालन करते हैं तो उसकी फीड का खास ख्याल रखें. पंगेशियस मछली को एक से 6 महीने तक उसके कुल वजन के 1.5 फीसदी से लेकर कम से कम 6 फीसदी तक फीड देना चाहिए. इसके अलावा एक से दो महीने तक आप मछलियों को 32 फीसदी प्रोटीन दूसरे महीने में 28 परसेंट, पांचवे महीने में 25 और छठे महीने में 20 फीसद प्रोटीन से मिला हुआ फीड दे सकते हैं.

तालाब में कितनी डालनी चाहिए खाद
फीड देने के दौरान ध्यान देने वाली बात यह भी है कि जब तापमान 20 डिग्री से कम हो जाए और 36 डिग्री से सेल्सियस से ज्यादा हो तो फीड को आधा कर देना चाहिए. जब तालाब का पानी ज्यादा हरा हो जाए तो तालाब में रासायनिक उर्वरक और चूने का इस्तेमाल न करें. तालाब के पानी का हरापन कंट्रोल न हो तो दोपहर के बाद 800 ग्राम कॉपर सल्फेट या 200 ग्राम एट्राजीन आधा एकड़ की हिसाब से 100 लीटर पानी में घोलकर तालाब में छिड़क दें. जबकि नर्सरी तालाब में रासायनिक खाद का इस्तेमाल ज्यादा न करें.

वजन बढ़ाने के लिए करें ये काम
ठंड के दिनों में तालाब में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है. ऑक्सीजन को बढ़ाने के लिए टेवलेट का छिड़काव करना चाहिए. 400 ग्राम प्रति एकड़ की दर से इसका छिड़काव कर सकते हैं. मछली को संक्रमण से बचने के लिए हर 15 दिन पर पीएच मान के मुताबिक 10 से 15 किलोग्राम प्रति एकड़ चूना घोलकर छिड़काव करना चाहिए. पंगेशियस मछली के तालाब में दूसरे महीने में 29 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से नमक का छिड़काव करना चाहिए. मछली का वजन बढ़ाने के लिए प्रति किलोग्राम फीड में 10 ग्राम मिनरल मिक्सचर 2 से 5 ग्राम गट प्रोबायोटिक्स को वनस्पति तेल या बाजार में उपलब्ध कोई भी बाईंडर 30 एमएल मिलाकर रोजाना दे सकते हैं.

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