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Fish Farming: मछली पालन में जरूर बरतें ये सावधानियां, होगा मोटा मुनाफा

मछली में कुछ बीमारियां ऐसी हैं जो पूरे मछली के बिजनेस को नुकसान पहुंचा सकती हैं.
तालाब में पाली गई मछली की तस्वीर.

नई दिल्ली. दुनियाभर मछली पालन किया जाता है. ये अब ग्रामीण इलाकों के लोगों की इनकम को दोगुना करने का भी जरिया है. गौरतलब है कि दुनियाभर में जितनी नस्ल की मछलियां पाई जाती हैं उनमें सबसे ज्यादा कतला, रोहू, मृगल, ग्रास कार्प, सिल्वर कार्प, कॉमन कार्प, तिलापिया, साल्मन और कैटफिश पाली जाती हैं. इन्हें ज्यादातर मछली पालन उद्योग में पाला जाता है. मछली पालन उद्योगों में मछली के पिंजरों को झीलों, खाड़ी, तालाबों, नदियों या महासागरों में रखा जाता है. इस मेथड को ‘ऑफ शोर एक्वाकल्चर’ भी कहा जाता है.

एक्स्पर्ट का कहना है क बदलते वैज्ञानिक दौर में मछली पालन के लिये कृत्रिम रिजर्वायर बनाए जा रहे हैं, जहां प्राकृतिक रूप से नदी, तालाब और सागर में मिलने वाली सुविधाएं उपलब्ध होती हैं. यहां मछलियों को आ​र्टिफिशियल फीड खिलाया जाता है और जब वे बाजार में पहुंचाने लायक एवं अच्छे आकार की हो जाती हैं, तब उन्हें बेच दिया जाता है. इससे मछली पालन में खूब फायदा होता है. बताते चलें कि मछली पालन में कुछ सावधानियां भी बरतनी होती हैं. अगर सावधानी नहीं बरती जाए तो फिर नुकसान हो सकता है. इसलिए जरूरी है कि सावधानियों को गौर से पढ़ें.

प्राइवेट तालाब लेकर भी कर सकते हैं फिश ​फार्मिंग
फिश फार्मिंग या मत्स्य पालन का काम व्यक्ति अपने तालाब पर कर सकता है. यदि तालाब नहीं है, तो किराए पर तालाब लेकर भी मछली पालन किया जा सकता है. केंद्र व राज्य सरकारें इसके उत्पादन में इजाफे के लिये समय-समय पर तमाम योजनाओं के साथ लोन या सब्सिडी भी देती रहती हैं. इसके अलावा फिश फार्मिंग शुरू करने के लिये प्रशिक्षण केंद्र भी स्थापित किये गए हैं. यहां से प्रशिक्षण लेकर मछली पालन की बारीकियां सीखी जा सकती हैं. वैज्ञानिक तरीके से मछली पालन निम्न प्रकार से किया जा सकता है.

सावधानी के बारे में पढ़ें
25 दिनों के अंदर तालाब में मछली बीज डालने के पश्चात मछली की पूरी खेप तैयार हो जाती है. मछली के बीज हैचरी या फिश फार्मिंग के संस्थान से ही खरीदने चाहिए. देश के सभी राज्यों एवं जिलों में मछली पालन के विभाग स्थापित किये गए हैं. इन संस्थानों से मछली पालन की सारी ट्रेनिंग प्राप्त की जा सकती है. ट्रेनिंग के अलावा ये संस्थान मछली पालन से जुड़े अन्य मामलों में भी सहायता प्रदान करते हैं. मछली पालन का व्यवसाय वैज्ञानिक तरीके से करने पर किसानों को बहुत ही अच्छा उत्पादन मिलता है. यह उत्पादन कम पूंजी से अधिक लाभ लेने में मददगार साबित होता है.

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