नई दिल्ली. बकरे के मीट का कारोबार ऐसा बिजनेस है कि जिसके लिए ये कहा जा सकता है कि इसमें कोई छुट्टी नहीं है. जबकि छुट्टी पर तो मीट की डिमांड और ज्यादा बढ़ जाती है. जहां बकरीद के मौके पर बकरे के दाम दोगुने हो जाते हैं तो वहीं आम दिनों में पार्टी, शादी-ब्याह में भी बकरे के मीट की खूब खींच रहती है. वहीं देश के अलावा सऊदी अरब के लिए भारत पाकिस्तान और बांग्लादेश से लाखों की संख्या में बकरे एक्सपोर्ट किए जाते हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि बकरे को पालकर ऐसे ही खास मौकों पर बेचा जा सकता है और इससे मुनाफा कमाया जा सकता है. वहीं एक्सपर्ट की मानें तो गोट फार्म शुरू करने से पहले ये भी जानना जरूरी होता है कि देश में किस-किस नस्ल के बकरे-बकरी पाए जाते हैं.
मुम्बई-कोलकाता में कौन सा बकरा पसंद किया जाता है
राजाखेड़ा, धौलपुर के बकरा कारोबारी शफीक खान का कहना है कि मुम्बई में रोजाना के बाजार में बकरों की तो अच्छी डिमांड रहती है. वहीं बकरीद के मौके पर भी मुम्बई में बड़ी संख्या में बकरों से भरे ट्रक देश के अन्य हिस्सों से जाते हैं. वहीं गुजरात और राजस्थान मुम्बई की डिमांड को पूरा करते हैं. इसके अलावा दुर्गा पूजा के मौके कोलकाता भी लाखों की संख्या में बकरे सप्लाई किए जाते हैं. बता दें कि देश बकरे-बकरियों की करीब 37 नस्ल पाई जाती हैं. इसमें से कुछ सिर्फ दूध के लिए पाली जाती हैं तो कुछ दूध और मीट दोनों के लिए पाले जाते हैं.
यूपी की खास नस्ल बरबरी, जिसके बकरे को बरबरा बकरा कहा जाता है. इसकी देश के अलावा अरब देशों में भी खूब मांग रहती है. वहीं बंगाल का ब्लैक बंगाल, पंजाब का बीटल बकरा भी डिमांड में रहता है. इसके अलावा और भी नस्ल हैं जो मीट के लिए खासतौर पर पाली जाती हैं. बरबरा-इस नस्ल के बकरे की खासियत की बात की जाए तो इसकी हाइट दो से ढाई फुट तक होती है. ये आगरा, इटावा, फिरोजाबाद, मथुरा और कानपुर में मिलता है. इस बकरे के रेट कम से कम 10 हजार रुपये से शुरुआत होती है. गुजरे बकरीद के त्योहार के मौके पर यूपी में इसी नस्ल के तीन बकरे 1.60 लाख रुपये के बिके थे.
सिरोही— इस नस्ल के बकरे ब्राउन और ब्लैक कलर में पाया जाता है. इस पर सफेद रंग के धब्बे होते हैं. इस नस्ल का बकरा दिखने में खासा ऊंचा होता है. जो लोगों को आकर्षित करता है. ये नस्ल सिर्फ राजस्थान में मिलती है. बकरा बाजार में कम से कम 12 से 15 हजार रुपये में मिल बेचा जाता है. जबकि तोतापरी नस्ल का बकरा पतला और लम्बा रहता है. इसकी ऊंचाई की बात की जाए तो कम से कम 3.5 से 4 फुट तक होती है. हालांकि बाजार में बिकने के लिए तैयार होने में ये कम से कम 3 साल लगता है. वहीं ये नस्ल हरियाणा के मेवात और राजस्थान के भरतपुर जिले में पाई जाती है. बहुत ही आसानी से इन बकरों 12 से 13 हजार रुपये मिल जाता है. वहीं जमनापारी- जमनापारी नस्ल यूपी के इटावा में मिलती है. ये लंबा होता है और इसके कान मीडियम होते हें. जमनापारी देखने में मोटा और भारी होता है. इसलिए इसे ग्राहक पसंद करते हैं. जिसका दाम 12 से 20 हजार रुपये बहुत ही आराम से मिल जाता है. बकरों की बड़ी मंडी की बात की जाए तो जसवंत नगर (यूपी), कालपी (मध्य प्रदेश), महुआ, अलवर (राजस्थान) और मेवात (हरियाणा), है. यहां से देश में ही नहीं विदेशों में भी बकरा भेजा जाता है.
Leave a comment