Home मछली पालन Fish Farming: ठंडे पानी की इन 7 प्रजातियों की मछलियों को पालें और कमाएं मोटा मुनाफा, पढ़ें डिटेल
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Fish Farming: ठंडे पानी की इन 7 प्रजातियों की मछलियों को पालें और कमाएं मोटा मुनाफा, पढ़ें डिटेल

प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. ठंडे पानी में भी मछलियों को पाला जाता है. ठंडे पानी में पलने वाली मछलियों में से महासीर, स्नो ट्राउट और इंडियन हिल ट्राउट है, जो भारत के पहाड़ी इलाकों के पानी में रहने वाली प्रमुख ठंडे पानी की मछली प्रजातियां हैं. बता दें कि ठंडे पानी की महासीर मछली हिमालय की प्रमुख मछलियों में से एक हैं. हालांकि भारत में विदेशी मछलियों तुलना में इसपर ध्यान नहीं दिया गया है. एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर ठंडे पानी की मछलियों को पाला जाए तो किसानों के लिए ये इनकम का बढ़िया जरिया बनन सकती हैं.

ठंडे पानी की 7 किस्म की मछलियों के बारे में हम यहां आपको बताने जा रहे हैं. जिसमें टोर, टोर पुतिटोरा, टोर मोसल, टोर मोसल महानैडिकस, टोर खुदरी (साइक्स) एक्रोसोचिलस हेक्सागोनोलेपिस और स्नो ट्राउट्स हैं. मछलियों की इन प्रजातियों को पालकर अच्छी कमाई की जा सकती है.

1) टोर टोर (हैमिल्टन): यह मछली यह 1.5 मीटर की लंबाई हासिल करती है और कश्मीर से असम तक हिमालय की तलहटी पहाड़ियों और नर्मदा और ताप्ती नदी में होती है. यह अपनी कम उम्र अवस्था में कीट को खाती लेकिन वयस्क होने पर शाकाहारी हो जाती है. इसमें जुलाई से दिसंबर तक लंबे समय तक प्रजनन का मौसम होता है. अंडे बैचों में रखे जाते हैं. यह नर्मदा और ताप्ती नदियों में भी मिलती है.

2) टोर पुतिटोरा (हैमिल्टन): इसे आमतौर पर गोल्डन या आम हिमालयी महासीर कहा जाता है. इसका सिर शरीर की गहराई से अधिक लंबा होता है. यह हिमालय में कश्मीर से दार्जिलिंग पहाड़ियों में पाई जाती है. यह मछली एक वर्ष में तीन बार प्रजनन करती है, पहले सर्दियों के महीनों (जनवरी से फरवरी) के दौरान, बाद में गर्मियों (मई-जून) में और अंत में अगस्त-सितंबर में.

3) टोर मोसल (साइक्स): मोसल महासीर का सिर शरीर की गहराई के बराबर होता है. यह मछली हिमालय, कश्मीर, असम और सिक्किम की तलहटी पहाड़ियों पर पहाड़ी नदियों में पायी जाती है.

4) टोर मोसल महानैडिकस: यह सभी पहलुओं में मोसल महासीर जैसी दिखती है, सिवाय इसके कि यह महानदी नदी में पायी जाती है. इसका सिर अक्सर शरीर की गहराई से अधिक होती है.

5) तोर खुदरी (साइक्स): इसका सिर शरीर की गहराई जितना लंबा होता है. यह उड़ीसा और पूरे प्रायद्वीपीय भारत में पायी जाती है. यह लगभग 1.3 मीटर की लंबाई हासिल करती है.

6) एक्रोसोचिलस हेक्सागोनोलेपिस (मैक क्लेलैंड): इसे आमतौर पर कॉपर या चॉकलेट महासीर के नाम से जाना जाता है. इसमें एक आयताकार और संकुचित Rectangular and compressed शरीर होता है. जिसमें एक स्पष्ट रूप से गोल और प्रमुख मुंह होता है. शरीर का रंग गहरे नीले रंग के पंखों के साथ गहरा नीला भूरा होता है. ये मुख्य रूप से तमिलनाडु में ऊपरी ओंदिया, असम और कावेरी नदी में वितरित की जाती हैं. यह 60 सेमी से अधिक की लंबाई प्राप्त करती है. यह टोर्ट से भिन्न होता है या इसके तराजू और पतले होंठों के हेक्सागोनल आकार में होता है.

7) स्नो ट्राउट्स: स्नो ट्राउट्स में तरह की मछलियों होती हैं. स्किजोथोरैक्स और स्किजोथोरैक्थिस. स्किजोथोरैचथिस: यह हिमालय में तीन प्रजातियां हैं. एस रिचाडसोनी, एस प्लागिस्टोमस और एस मोल्सवर्थी. ये असम, पूर्वी हिमालय, सिक्किम, नेपाल, कश्मीर की बर्फ से पोषित धाराओं में पाए जाते हैं. इस वंश का प्रतिनिधित्व एस. एसोसिनस, एस. प्रोगैस्टस और एस. कुमाओनेंसिस द्वारा किया जाता है. इनमें से एस. एसोसिनस कश्मीर और लद्दाख में पायी जाती है. एस. प्रोगैस्टस हरिद्वार और दार्जिलिंग में गंगा की पहाड़ी धाराओं में और एस. कुमाओनियस नैनीताल में पायी जाती है.

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