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Cold Water Fish: ठंडे पानी की इन मछलियों के बारे में पढ़ें यहां, जानें इनकी फार्मिंग करने का फायदा

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प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. ठंडे पानी में पाली जाने वाली म​छलियां भी मुनाफा देती हैं. जिन इलाकों में ठंड ज्यादा पड़ती है, वहां पर ठंडे पानी में ये मछलियां आसानी से जिंदा रहने में सक्षम होती हैं. ट्राउट मछलियां ठंड पानी के लिए फरफेक्ट होती हैं. इसमें दो प्रजातियां हैं. इसे आमतौर पर रेनबो ट्राउट या स्टील हेड ट्राउट के नाम से जाना जाता है. यह उत्तरी अमेरिकी प्रशांत महासगर की मूल निवासी हैं और 1907 में भारत में आयात किया गया था. मौजूदा वक्त में वर्तमान में, ये भारतीय ठंडे जल क्षेत्र की सबसे सफल ट्राउटों में से एक है. क्योंकि ये ब्राउन ट्राउट की तुलना में आसानी से अनुकूलित हो जाती हैं. इसके अलावा ये मछलियां कृत्रिम भोजन खाती हैं और उच्च तापमान और 2 डिग्री सेल्सियस से कम टेंप्रेचर में भी जिंदा रहती हैं.

इनकी इन्क्यूबेशन अवधि कम होती है और विकास और वृद्धि की दर तेज होती है. अच्छी तरह से खिलाए जाने पर, ये तीन वर्षों में 400-500 मिमी की लंबाई और वजन हासिल कर लेती हैं. लगभग 5.5 किलोग्राम शरीर लम्बा, सिर छोटा और मुंह अपेक्षाकृत छोटा होता है. लिंग और वातावरण के आधार पर शरीर का रंग बदलता रहता है. ये नदियों की मछली कही जाती है लेकिन इसकी फार्मिंग सीमित पानी में भी की जाती है. यह तालाबों में नहीं बल्कि कृत्रिम रूप से प्रजनन करती है और ये एक मांसाहारी मछली होती है.

1.3 मीटर होती है इसकी लंबाई
साइक्स मछलियों की विशेषता यह है कि इसका सिर गहराई जितना लंबा होता है. यह उड़ीसा और पूरे प्रायद्वीपीय भारत में पायी जाती हैं. 1.3 मीटर की लंबाई हासिल कर लेती हैं. वहीं एक्रोसोचिलस हेक्सागोनोलेपिस (मैक क्लेलैंड) इसे आमतौर पर तांबे के रूप में जाना जाता है या
चॉकलेट महाशीर. इसका शरीर तिरछा और टेढ़ा-मेढ़ा संकुचित, गोल और उभरा हुआ होता है. मुंह और शरीर का रंग गहरे नीले भूरे रंग के साथ गहरा है. ऊपरी ओडिशा, असम और तमिलनाडु में कावेरी नदी में मिलती हैं. इसकी लंबाई 60 सेमी से अधिक होती है.

स्नो ट्राउट में हैं कई प्रजातियां
स्नो ट्राउट में दो प्रजातियां होती हैं. सिजोथोरैक्स और सिजोथोराइक्थिस. ये मछलियां असम की बर्फीली नदियों में पाई जाती हैं. पूर्वी हिमालय, सिक्किम, नेपाल और कश्मीर भी ये मिलती हैं. जिसमे कई प्रजातियां हैं. जिसमें एसोसिनस कश्मीर में पाली जाती है. वहीं लद्दाख, एस. प्रोगैस्टस हरिद्वार और दार्जिलिंग में गंगा की पहाड़ी धाराओं में पाली जाती है. वहीं इंडियन हिल ट्राउट को बेरिलियस को इंडियन हिल ट्राउट के नाम से जाना जाता है. इसमें भी चार प्रजातियां हैं. बी. बेंडेलिसिस, बी बोला, बी वेग्रा और बी गेटेंसिस. ट्राउट मछली को सेहत के लिए फ़ायदेमंद माना जाता है. वहीं इन मछलियों का अंडा भी जुटाया जाता है और इसकी अच्छी कमाई होती है. ट्राउट मछली का सीड भी अच्छी दर पर बिकता है.

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