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Dairy Animal Disease: डेयरी पशुओं के दूध में खून आने और खड़े होने में दिक्कत का देशी इलाज पढ़ें यहां

SNF In Animal Milk
प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. पशुपालन में पशुओं को कई तरह की बीमारियां होती हैं. इन बीमारियों का इलाज सही वक्त पर किया जाना बेहद जरूरी है. अगर इलाज न किया जाए तो पशुओं का उत्पादन कम हो जाता है. उत्पादन कम होने का मतलब ये है कि पशुपालन में नुकसान होने लगेगा. वहीं बीमारियों की वजह से पशु कमजोर भी हो जाते हैं और उनकी सेहत खराब होने के कारण उन्हें ज्यादा फीड और संतुलित आहार देने की जरूरत होती है. इसलिए पशुपालन में और ज्यादा खर्च बढ़ जाता है. ऐसे भी पशुपालन में 70 परसेंट से ज्यादा खर्च पशुओं के आहार पर ही होता है.

पशुओं को ऐसी कई बीमारियां होती हैं जिनका इलाज पशुपालक खुद घर पर ही कर सकते हैं. राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की ओर से भी पशुपालकों को समय-समय पर जागरूक किया जाता है कि वो परंपरागत तरीके से पशुओं का घर पर इलाज कर सकते हैं. इस आर्टिकल में हम आपको दूध में खून आने और ब्यात के बाद पशुओं को खड़े होने में परेशानी आने की समस्या का समाधान बताने जा रहे हैं, जो राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की ओर से बताया गया है. दूध में खून आने की समस्या के इलाज के लिए करी पत्ता, गुड़, सहजन की पत्तियां और नींबू की जरूरत होती है. जबकि ब्यात के बाद खड़े होने में परेशानी की समस्या के इलाज के लिए देशी मुर्गी के अंडे, हडजोड़ का तना, सहजन की पत्तियां और गुड़ की जरूरत होती है.

ऐसे करें दूध में खून आने का इलाज
दूध में खून आने की समस्या के लिए एक दिन की दवा के तौर पर करी पत्ता 2 मुट्ठी, सहजन की पत्तियां 2 मुट्ठी, गुड़ 100 ग्राम और 6 नग नींबू की जरूरत होगी. तैयार करने की विधि की बात की जाए तो करी पत्ता और सहजन की पत्तियों को गुड़ के साथ पीसकर पेस्ट बना लें. नींबू को दो हिस्सों में काटें. प्रयोग की विधि की बात करें तो करी पत्ता और सहजन की पत्तियों का पेस्ट दिन में 2 बार ठीक होने तक पशु को खिलाएं. एक बार में दो नींबू खिलाएं (दो हिस्सों में कटा हुआ), यह प्रयोग दिन में तीन बार 3 दिनों के लिए करें. बताते चलें कि इस विधि के साथ-साथ थनैला की विधि भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

खड़े होने में दिक्कत का कैसे करें उपचार
एक खुराक दवा के लिए देसी मुर्गी के 2 अंडे, सहजन की पत्तियां 4 मुट्ठी, हडजोड़ का तना 4 मुट्ठी और गुड़ जरूरत के मुताबिक चाहिए होता है. तैयार करने के तरीके की बात की जाए तो बिना उबले, मुर्गी के ताजा अंडे लें. सहजन की पत्तियों और हडजोड़ के तने को अलग अलग पीसें एवं इसमें गुड़ मिलाकर पेस्ट बना लें. एक बार में देसी मुर्गी के 2 अंडे (शेल सहित) खिलाएं (अंडे को खिलाने से पहले शेल में एक छोटा छेद बनाएं), यह प्रयोग दिन में 3 बार करें. सहजन के पत्ते के चार मुट्ठी पेस्ट को गुड़ के साथ खिलायें. 2 घंटे बाद हड़जोड़ के तने के चार मुट्ठी पेस्ट को गुड़ के साथ खिलायें. इस विधि को हर दो घंटे के अंतराल पर खिलाते रहें. चार दिन तक पशु को खड़ा करने का प्रयास न करें.

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