नई दिल्ली. मौजूदा वक्त में किसानों की फसल को को सबसे ज्यादा नुकसान आवारा मवेशी नीलगाय से होता है. नीलगाय अक्सर खड़ी फसल को चट कर जाती हैं. किसान इससे बहुत परेशान रहते हैं. कई बार किसान खेतों के किनारे कांटे वाले तार आदि लगाकर नीलगाय को रोकने की कोशिश करते हैं लेकिन उसमें भी कामयाबी नहीं मिलती है. हालांकि अब किसानों को घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वैज्ञानिकों ने आवारा मवेशियों से फसल को बचाने के लिए ऐसी तकनीक विकसित कर दी है जिसकी मदद से फसल को आवारा मवेशियों से बचायाज सकेगा.
ज्यादा खर्च भी नहीं करना होगा
सबसे अच्छी बात यह है कि किसानों को इस तकनीक को अपनाने के लिए ज्यादा खर्च करने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी और किसान घर में ही मौजूद सारे सामान से इसे बना सकेंगे. कृषि विज्ञान केंद्र कोटवां के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ. आरपी सिंह का कहना है कि हर साल आवारा मवेशी 5 फ़ीसदी तक फसल बर्बाद कर डालते हैं. इससे किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है. हालांकि किसान मवेशियों को खेत से भगाने के लिए देसी तरीके से जैविक दवा बन सकते हैं. इसे बनाने के लिए ज्यादा खर्च भी नहीं होगा.
25 दिनों के लिए करें प्रिजर्व
डॉ. आरपी सिंह ने बताया कि किसानों को 5 लीटर गोमूत्र, 1 किलो नीलगाय का गोबर, ढाई किलो बकाईन की पत्ती, ढाई किलो नीम की पत्ती, 1 किलो धतूरा, 1 किलो मदार की पत्ती, 250 ग्राम पत्ता सुर्ती, 250 ग्राम लाल मिर्च का बीज और 250 ग्राम लहसुन को आपस में मिलना होगा. इसके बाद इस मिट्टी के पात्र में डालकर 25 दिनों के लिए प्रिजर्व कर देना चाहिए. खास बात यह है कि प्रिजर्व करने के लिए मिट्टी के पात्र का मुंह अच्छी तरह से बंद करना चाहिए. ताकि इसमें हवा प्रवेश न कर पाए. साथ ही उस पात्र का 1.3 हिस्सा खाली रहना चाहिए.
गंध से आवारा पशु नहीं आएगा खेत के नजदीक
क्योंकि फ्रेगमेंटेशन के बाद कार्बनिक गैस बनाने में बर्तन भी फट सकता है. इसके बाद 25 दिन के बाद मिट्टी का मुंह खोल दें और मिश्रण का दूसरे बर्तन में निकाल देना चाहिए. 25 दिन तक सड़ने के बाद या मिश्रण गंध मुक्त एक जैविक दवा बन जाएगी. इसके बाद 50 फीसदी दवा को 100 लीटर पानी में मिला दें और 250 ग्राम सर्फ मिलाकर प्रति बीघा छिड़काव करें. इसकी गंध से कोई भी जानवर आपके खेत के नजदीक भी नहीं जाएगा.
दवा को इस तरह से रखें
वैज्ञानिकों का कहना है कि जितनी पुरानी दवा होगी, उतना ज्यादा इसका असर होगा. ऐसे में किसान दलहन, गेहूं, गन्ना और मक्का सहित सभी तरह की फसलों के ऊपर इसका छिड़काव कर सकते हैं. चाहे तो सब्जियों के ऊपर भी इसका स्प्रे किया जा सकता है. किसानों को इस दवा को हमेशा ढक कर ही रखना चाहिए. क्योंकि दवा जितनी अधिक गंघ रहेगी, उतना ही यह कारगर साबित होगी.
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