Home मछली पालन Fisheries: फिशरीज सेक्टर के लिए सरकार ने किए ये काम, 5 ऑनलाइन प्लेटफार्म पर बिक रही मछली
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Fisheries: फिशरीज सेक्टर के लिए सरकार ने किए ये काम, 5 ऑनलाइन प्लेटफार्म पर बिक रही मछली

जीरा डालने से पहले और चूना डालने के बाद खाद का प्रयोग करें.
प्रतीकात्मक तस्वीर।

नई दिल्ली. मछली पालन आज देश में बिजनेस का एक अहम जरिया बना हुआ है. खेती के बाद मछली पालन कर किसान अपनी इनकम को बढ़ा रहे हैं. मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार मछली पालन के लिए मछली पालको को कई प्रकार की सुविधाएं दी गई है. मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही प्रधान मंत्री मत्स्य सम्पदा योजना का उद्देश्य, अन्य बातों के साथ-साथ, मछली प्रोडक्शन और प्रोडेक्टिविटी, क्वालिटी, स्वच्छता, आधुनिकीकरण को बढ़ाने, आपूर्ति और वैल्यू चैन को मजबूत करने के लिए टेक्नोलॉजी को शामिल करना है. इस योजना के तहत, री-सर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस) और बायोफ्लोक सहित हाई डेनसिटी एक्वाकल्चर टेकनोलोजीस को अपनाने में सहायता प्रदान की जाती है.

मंत्रालय ने पिछले चार वर्षों (2020-21 से 2023-24) और वर्तमान वित्त वर्ष (2024-25) के दौरान विभिन्न राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रस्तावों को स्वीकृति दी है, जिनमें (i) 298.78 करोड़ रुपए के केंद्रीय अंश के साथ 902.97 करोड़ रुपए की कुल लागत से 12000 री-सर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम की स्थापना और (ii) 180.04 करोड़ रुपए के केंद्रीय अंश के साथ 523.30 करोड़ रुपए की कुल लागत से 4205 बायोफ्लोक इकाइयों की स्थापना शामिल है. ये हाई डेनसिटी एक्वाकल्चर टेकनोलोजीस मुख्य रूप से मछुआरों को उच्च उपज देने वाली विविध प्रजातियों की कृषि करने, पानी और जमीन के संदर्भ में न्यूनतम संसाधनों के साथ गुणवत्तापूर्ण मत्स्य उत्पादन के वृद्धि में सहायता कर रही हैं.

महिलाओं के नेतृत्व को बढ़ावा इसके अलावा, पीएमएमएसवाई में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और महिलाओं को मात्स्यिकी विकास की मुख्य धारा में लाने और मात्स्यिकी क्षेत्र में महिलाओं के नेतृत्व वाली पहल को बढ़ावा देने के लिए उच्च वित्तीय सहायता के साथ समावेशी विकास की परिकल्पना की गई है. विगत चार वर्षों (2020-21 से 2023-24) और वर्तमान वित्तीय वर्ष (2024-25) के दौरान पीएमएमएसवाई के तहत महिलाओं से संबंधित 3973.14 करोड़ रुपए के मात्स्यिकी विकास परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है. पीएमएमएसवाई के तहत स्वीकृत गतिविधियों के तहत प्रमुख इन्फ्रास्ट्रक्चर और पोस्ट हारवेस्ट प्रबंधन में शामिल हैं. 58 फिशिंग हारबर /फिश लैंडिंग सेन्टर, 634 आइस प्लांट/कोल्ड स्टोरेज, 2 स्मार्ट होल सेल मारकेट सहित 21 मार्डन होल सेल फिश मारकेट्स, 202 रीटेल फिश मारकेट्स, 6694 फिश कियोस्क, मत्स्य परिवहन सुविधाओं की 27189 यूनिटें, 128 मूल्य वर्धित उद्यम, मत्स्य और मात्स्यिकी उत्पादों के ई-ट्रेडिंग और ई-मारकेटिंग के लिए 5 ई-प्लेटफॉर्म.

पीएमएमएसवाई ने मछली और जलकृषि के समग्र विकास में योगदान दिया है. विशेष रूप से वार्षिक मछली उत्पादन 2019-20 में 141.64 लाख टन से बढ़कर 2023-24 में 184.02 लाख टन हो गया है. मछली निर्यात 2019-20 में 46,662.85 करोड़ रुपए से बढ़कर 2023-24 में 6,0524.89 करोड़ रुपए हो गया है.
प्रति व्यक्ति मछली की खपत 5-6 किलोग्राम से बढ़कर 12-13 किलोग्राम हो गई है. जलकृषि उत्पादकता 3 टन/हेक्टेयर से बढ़कर 4.7 टन प्रति हेक्टेयर हो गई है. यह जानकारी मंत्रालय ने जारी की.

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