नई दिल्ली. पशुओं को बीमारी लगना आम है. हालांकि कभी-कभी ये बीमारी गंभीर होती है तो फिर पशुओं की जान पर बन आती है. जबकि बीमारी गंभीर न भी हो तो उत्पादन पर तोर असर पड़ता ही. इसलिए पशुपालकों को चाहिए कि वो हमेशा ही अपने पशुओं का ख्याल रखें और हो सके तो उन्हें बीमारी न लगे, ऐसे उपायों को करें. अगर पशु बीमारी हो जाए तो तुरंत पशु चिकित्सक से सलाह लेकर इलाज शुरू करा देना चाहिए. ताकि बीमारी गंभीर स्थिति में पहुंचे, उससे पहले ही उसपर काबू कर लिया जाए.
पशुओं में वैसे तो बहुत ही बीमारी होती है. इन्हीं बीमारियों में से एक बीमारी का फैसीओलियासिस है. फैसिओलियासिस एक तरह की संक्रामक बीमारी है, जो फासिओला परजीवी के कारण होती है. इसके चपटे कृमि होते हैं. जिन्हें लीवर फ्लूक कहा जाता है. वयस्क (परिपक्व) फ्लूक संक्रमित लोगों और जानवरों, जैसे भेड़ और मवेशियों के पित्त नलिकाओं और यकृत में पाए जाते हैं.
45 शहरों में बीमारी का खतरा
इस बीमारी के देश के 45 शहरों में फैलने की आशंका है. पशुओं को लेकर काम करने वाली निविदा संस्था के मुताबिक अंडमान निकोबार के तीन, आंध्र प्रदेश के एक, अरुणाचल प्रदेश के चार, असम के दो, केरल के एक, मणिपुर के एक, पांडुचेरी के एक, त्रिपुरा के तीन और वेस्टबंगाल के एक शहर में इस बीमारी से भेड़ और अन्य मवेशी बीमार हो सकते हैं. इस बीमारी का सबसे ज्यादा खतरा झारखंड राज्य में है. झारखंड के 23 जिलों में इस बीमारी का खतरा है.
क्या हैं बीमारी के लक्षण
एक्सपर्ट कहते हैं कि क्लीनिकल लक्षणों में एनीमिया, अस्वस्थता, सबमांडिबुलर एडिमा और दूध उत्पादन में कमी शामिल है लेकिन कई बार तो ऐसा होता है कि संक्रमित मवेशी भी कोई क्लीनिकल लक्षण नहीं दिखते हैं. हालाँकि, अन्य रोगजनकों (उदाहरण के लिए, साल्मोनेला एसपीपी) के प्रति उनकी प्रतिरक्षा कम हो सकती है, और टीबी के लिए एकल इंट्राडर्मल परीक्षण की प्रतिक्रियाएं संशोधित हो सकती हैं. ज्यादातर मवेशियों में फैसीओलोसिस तीव्र नहीं, बल्कि लंबे समय के लिए होता है. टेंपरेट क्षेत्रों में, बीमारी ज्यादातर देर से ठंड के मौसम में असर डालती है.
ये है इस बीमारी का इलाज
इस बीमारी में बछड़ों और एक साल के बच्चों में एनोरेक्सिया, वजन में कमी और एनीमिया के लक्षण दिखाई दे सकते हैं, जिनमें कभी-कभी सबमांडिबुलर एडिमा भी शामिल है. इसमें ट्राईक्लाबेंडाजोल एक बेंज़िमिडाज़ोल यौगिक जो फासिओला परजीवियों के खिलाफ सक्रिय है, फासिओलियासिस के उपचार के लिए पशु चिकित्सकों की पसंदीदा की दवा है. हालांकि पूरी तरह से पशु इससे ठीक हो जाए इसके भी पुख्ता सबूत नहीं हैं. हालांकि इस दवा के इस्तेमाल से ये जरूरी है कि इस बीमारी को ठीक किया गया है.
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