नई दिल्ली. डेयरी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय और सुमंगल जन कल्याण ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार से तीन दिवसीय व्यवसायिक भेड़-बकरी पालन ट्रेनिंग प्रोग्राम की शुरुआत राजुवास में की गई. इस कार्यक्रम में श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, सीकर, चूरू और बीकानेर जिलों से आए 30 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया. ट्रेनिंग कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डेयरी विज्ञान और प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के प्रो. राहुल सिंह पाल ने कहा कि आज के समय में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए आत्मनिर्भर बनना बेहद ही जरूरी है. भेड़-बकरी पालन न केवल रोजगार के अवसर पैदा होते हैं, बल्कि इससे जुड़ी सहायक सेवाओं जैसे दूध उत्पादन, ऊन उद्योग और जैविक खाद्य उत्पादन के जरिए से आय के नए सोर्स विकसित किए जा सकते हैं.
वहीं इस दौरान सुमंगल जन कल्याण ट्रस्ट के गजेंद्र सिंह और यतीश बेदी ने अतिथियों का स्वागत किया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि निदेशक अनुसंधान बीएन श्रृंगी ने कहा कि “भेड़ एवं बकरी पालन ग्रामीण अर्थव्यवसथा को सशक्त करने का एक प्रभावी माध्यम है. यदि पशुपालक वैज्ञानिक पद्धतियों को को अपनएं तो यह व्यवसाय ज्यादा फायदेमंद हो सकता है.
इनोवेशन से टिकाऊ बनेगा व्यवसाय
पूर्व निदेशक कैमल रिसर्च सेंटर डॉ. आर.के. सावल ने कहा कि आज के समय में वैज्ञानिक तरीके अनपाकर पशुपालक अपनी उपज और आय को कई गुना बढ़ा सकते हैं. डेयरी और पशुपालन क्षेत्र में शोध और नवाचार से यह व्यवसाय और भी टिकाऊ बन सकता है. डॉ. सुरेन्द्र सिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओं और सब्सिडी का सही उपयोग कर पशुपालक आत्मनिर्भर बन सकते हैं. ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम उन्हें आधुनिक तकनीकों और सरकारी सहायता योजनाओं से जोड़ने में सहायक होते हैं.
रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे
सुभाष स्वामी ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा व्यवसायिक ट्रेनिंग से न केवल पशुपालकों आय बढ़ेगी बल्कि रोजगार के नए अवसर भी सृजित होगे. प्रशिक्षण के दौरान डॉ. दिवाकर और डॉ. नीरज कुमार शर्मा ने स्वस्थ्य, पोषण, औषधि प्रबंधन और वैज्ञानिक पद्धतियों पर विस्तृत जानकारी दी. उन्होने प्रतिभागियों को भेड़-बकरी पालन के विभिन्न पहलुओं, चारा प्रबंधन, रोग नियंत्रण और व्यवसायिककरण के विषय में जागरूक किया. कार्यक्रम में वीरेन्द्र लुणु ने धन्यवाद दिया. इस अवसर पर विभिन्न विशेषज्ञों और अनुभवी प्रशिक्षकों ने अपने व्याख्यान प्रस्तुत किये और प्रतिभागियों को इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया.
लापरवाही बीमारियों को देती है बढ़ावा
पशु जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट निस्तारण तकनीकी केंद्र, राजुवास, बीकानेर द्वारा पशुपालन विभाग के श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जिले के पशुचिकित्सा अधिकारियों को पशु जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट के उचित प्रबंधन और निस्तारण विषय पर मंगलवार को एक दिवसीय प्रशिक्षण प्रदान किया गया. प्रशिक्षर्णािर्थयों को सम्बोधित करते हुए केन्द्र की प्रमुख अन्वेषक डॉ. दीपिका धूड़िया ने बताया कि पशुचिकित्सा अधिकारी रोजमर्रा पशुचिकित्सा का कार्य करते है. इसलिए उनमें पशु जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट का उचित प्रबंधन व निस्तारण का ज्ञान होना अति आवश्यक है तथा इनके उचित निस्तारण में जरा सी लापरवाही कई रोगों को बढ़ावा दे सकती है तथा वातावरण को प्रदूषित कर सकती है.
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