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Goat Farming: सोनपरी बकरी को अभी तक नहीं मिला रजिस्ट्रेशन नंबर, पढ़ें डिटेल

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सोनपरी की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. मीट और एक साथ चार बच्चे तक जन्म देने की वजह से अलग पहचान बनाने वाली सोनपरी बकरी को अभी भी पशु पक्षियों का रजिस्ट्रेशन की लिस्ट में नंबर नहीं मिल पाया है. दरअसल साल 2023 की पशु पक्षियों के रजिस्ट्रेशन की लिस्ट में उम्मीद थी कि इस बकरी का नंबर आएगा लेकिन नंबर नहीं आ सका है. जबकि कुछ-कुछ सोनपरी जैसी दिखने वाली अंजोरी बकरी को जरूर रजिस्टर्ड किया गया है, जो छत्तीसगढ़ की नस्ल है. वहीं सोनपरी यूपी में सोनभद्र, वाराणसी और मिर्जापुर के अलावा झारखंड और छत्तीसगढ़ में भी पाली जाती है. जानकार कहते हैं कि उम्मीद है कि साल 2024 की लिस्ट में सोनपरी को शामिल किया जा सकता है.

मीट बिकता है बहुत महंगा
दरअसल, सोनपरी बकरी बकरी बैरारी और ब्लैक बंगाल की मिक्स नस्ल है. यही वजह है कि इसे मीट के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है. हालांकि वजन में सोनपरी नस्ल के बकरे 24 से 28 किलो के होते हैं. लेकिन दूसरे बकरों के मुकाबले इनका मीट बहुत महंगा बिकता है. देश भर में बकरियों की 37 नस्ल पाली जाती हैं. किसी खास नस्ल को दूध के लिए तो किसी को मीट के लिए पाला जाता है. कुछ को मीट-दूध दोनों के लिए पाला जाता है और कुछ नस्ल को वातावरण के हिसाब से राज्यवार पाला जाता है.

इस तरह तैयार हुई थी ये नस्ल
सीआईआरजी की सीनियर साइंटिस्ट डॉ. चेतन गंगवार कहती हैं कि काफी साल पहले सोनभद्र, मिर्जापुर के इलाकों में किसानों की मदद के लिए उनकी गरीबी दूर करने के मकसद से बैरारी और ब्लैक बंगाल नस्ल की बकरे को क्रॉस कर कर एक नई नस्ल तैयार की गई थी. ब्लैक बंगाल पश्चिम बंगाल की नस्ल है लेकिन इसका पालन सोनभद्र, वाराणसी, मिर्जापुर, झारखंड और छत्तीसगढ़ में भी किया जाता है. इसी की वजह से किसानों ने नया प्रयोग किया. ब्लैक बंगाल नस्ल खासतौर से मीट के लिए पहचानी जाती है.

28 किलो तक होता है वजन
डॉ. चेतना के मुताबिक सोनपरी बकरी की एक सबसे बड़ी खासियत यह है कि 22 फीसदी केस में चार बच्चे तक दे देती है. सामान्य तौर पर यह दो और तीन बच्चे देती है. जबकि दूसरी नस्ल की बकरियां कुछ खास केस में ही तीन बच्चे तक जन्म दे पाती हैं. बकरी पालकों के बीच इसे पसंद किए जाने की एक और बड़ी वजह यह भी है कि इस नस्ल में रोगों से लड़ने की क्षमता दूसरों के मुकाबले बहुत ज्यादा होती है. जबकि ब्लैक बंगाल का अंश होने के चलते इसका मीट भी टेस्टी होता है. इसका मीट इस कदर पसंद किया जाता है कि दूसरे बकरों के मुकाबले 200 रुपये किलो महंगा बिकता है. डेढ़ साल में इसके बकरे का वजन 24 से 28 किलो हो जाता है.

ये इस बकरी की पहचान
अगर इस बकरी की पहचान की बात की जाए तो यह देखने में डार्क ब्राउन कलर के होती है. उनकी पीठ और रीढ़ की हड्डी पर गर्दन से लेकर पूछ तक काले रंग के उभरे हुए बाल होते हैं. इतना ही नहीं गले पर काले उभरे हुए बाल की रिंग गोल होती है. सींग नुकीली, पीछे की ओर मुड़ी होती है. यह मध्यम आकार की बकरी है. पूंछ के पास थाई पर ब्राउन और ब्लैक कलर के उभरे हुए बाल होते हैं.

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