नई दिल्ली. पशुओं के लिए ठंड के मौसम में हरे चारे की कमी हो जाती है. इस वजह से पशुओं को हरा चना देना मुश्किल हो जाता है. अगर हरे चारे के लिए कई कटाई वाली जई HFO 114 की बिजाई की जाए तो इससे पशुपालकों को ज्यादा फायदा हो सकता है. इस प्रजाति के बीज की अच्छी खासी पैदावार भी है. अगर एक एकड़ में इसकी पैदावार की बात की जाए तो 220 से 240 क्विंटल फसल हासिल की जा सकती है. रबी सीजन में जई हरे चारे की अहम फसल मानी जाती है. सिंचित और कम संचित इलाकों में इसकी खेती आसानी से होती है. वहीं जई के हरे चारे में 8 से 10 फीसद प्रोटीन, 18 से 23 परसेंट शुष्क पदार्थ और 55 से 60 प्रतिशत आसानी के साथ पचाने वाला तत्व होता है.
एक्सपर्ट का कहना है कि सर्दियों में हरे चारे को बरसीम या गेहूं के भूसे के साथ मिलकर पशुओं को खिलाया जाना चाहिए. कई कटाई वाली किस्म के कारण इसकी फसल की हरे चारे की उपलब्धता ज्यादा लंबे समय तक रहती है. हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज का कहना है कि है कि ज्यादा पैदावार लेने के लिए किसानों को उन्नत किस्म पर ध्यान देने की जरूरत है.
बिजाई का सबसे सही समय है ये
वहीं चार डिपार्टमेंट के वैज्ञानिक डॉ. सतपाल का कहना है कि हल्के बीजों वाली किस्म का 30 किलोग्राम और मोटे बीजों वाली किस्म का 40 किलोग्राम प्रति एकड़ इस्तेमाल किया जाना चाहिए. जई की बिजाई करने के लिए 22 से 25 सेंटीमीटर चौड़ी लाइनों का इस्तेमाल करें और इसमें पोरा तरीके का इस्तेमाल करें. अगर इसकी बिजाई के समय की बात की जाए तो सबसे सही समय यही चल रहा है. नवंबर के महीने में जई की फसल की बिजाई करने से ज्यादा फायदा होगा. जई की फसल में 16 किलोग्राम नाइट्रोजन, 35 किलोग्राम यूरिया देनी चाहिए. जबकि बीजाई के समय 16 किलोग्राम नाइट्रोजन पहली सिंचाई के 1 महीने बाद देना चाहिए.
फसल के लिए ये मिट्टी सबसे है अच्छी
उन्होंने बताया कि इसकी सफल खेती के लिए रेतीली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है. ये फसल लुणी और सैम वाली भूमियों में भी उगाई जा सकती है. जई की OS 6, OS 7, OS 403 और HFO 607 एक कटाई वाली उन्नत किस्म मानी जाती है. जो पूरे हरियाणा के लिए उपयुक्त भी है. वहीं HFO 114 अनेक कटाई वाली किस्म माना जाता है. जो जल्दी-जल्दी बढ़ती है. इसके दाने मोटे होते हैं और हरे चारे की पैदावार 220 से 240 क्विंटल प्रति एकड़ ली जा सकती है. दो कटाई वाली SJ 8 किस्म के हरे चारे की पैदावार लगभग 240 से 280 क्विंटल प्रति एकड़ है इसकी पत्तियां बहुत चौड़ी होती हैं.
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