Home पोल्ट्री Poultry Farming: इन नस्लों की मुर्गियों से शुरू करें पोल्ट्री फार्मिंग, कारोबार में होगा खूब मुनाफा
पोल्ट्री

Poultry Farming: इन नस्लों की मुर्गियों से शुरू करें पोल्ट्री फार्मिंग, कारोबार में होगा खूब मुनाफा

शारीरिक बनावट को अगर बात करें तो इसकी गर्दन लंबी रहती है. मुंह गोल बेलनाकार होता है, जबकि चोंच छोटी रहती है और टांगें लंबी-लंबी रहती हैं. यह आक्रामक प्रवृत्ति के होते हैं. इसकी बनावट की वजह से इनको लड़ाई के लिए शुरू से उपयोग किया गया है.
असील की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. अगर आप खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं तो मुर्गी पालन एक बेहतर व्यवसाय आपके लिए साबित हो सकता है. क्योंकि कम लागत में या ज्यादा मुनाफा देने वाला व्यवसाय है. आप इस व्यवसाय से जुड़कर दूसरों को रोजगार भी दे सकते हैं. हालांकि इसके लिए जरूरी है कि इस व्यवसाय की सटीक जानकारी हो, ताकि आप व्यवसाय शुरू कर सकें. भारत में शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक में मुर्गी पालन किया जा रहा है और इसका क्रेज भी दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है. बता दें कि भारत में हर दिन हर करोड़ों अंडों का उत्पादन किया जाता है.

अगर बात की जाए देसी मुर्गी पालन की तो बाजार में देसी मुर्गियों के अंडे और मीट की डिमांड हमेशा ही बनी रहती है. जिस वजह से मार्केट में इसका वाजिब दाम मिल जाता है. इनको सेल करने में मुर्गी फॉर्मर्स को ज्यादा परेशानी नहीं आती है. ऐसे में अगर आप देसी मुर्गी पालन करना चाहते हैं तो इसके लिए आप ट्रेनिंग लेकर इस काम को शुरू कर सकते हैं. इस आर्टिकल में हम आपको देसी मुर्गियों की कुछ नस्लों के बारे में बताने जा रहा हैं, जिसको पाल कर अच्छी कमाई कर सकते हैं.

4​ किलो होता है मुर्गी का वजन
असील नस्ल, भारत के उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और राजस्थान में पाई जाती है. भारत के अलावा या नस्ल ईरान में भी पाई जाती है. जहां इसे किसी अन्य नाम से जाना जाता है. इस नस्ल का चिकन बहुत अच्छा होता है. इन नस्ल के मुर्गों का व्यवहार झगड़ालू होता है. इसलिए इस नस्ल के मुर्गे अक्सर मैदान में लड़ाये जाते हैं. मुर्गों का वजन 4 से 5 किलोग्राम और मुर्गियों का 3 से 4 किलोग्राम होता है. इस नस्ल के मुर्गे-मुर्गियों की गर्दन लंबी होती है और बाल चमकीले होते हैं. हालांकि मुर्गियों की अंडा देने की क्षमता कम होती है, लेकिन का इनके अंडे महंगे बिकते हैं.

25 फीसदी होती है मीट में प्रोटीन
कड़कनाथ नस्ल की मुर्गी की बात की जाए तो ये मध्य प्रदेश में पाई जाती है. इस नस्ल की मीट में 25 फीसद प्रोटीन होता है, जो अन्य नस्ल की मुर्गियों के मीट की अपेक्षा में काफी अधिक है. कड़कनाथ नस्ल की मुर्गियों का मीट का इस्तेमाल कई तरह की दवाओं को बनाने में भी किया जाता है. इसलिए व्यवसाय की दृष्टि से यह बेहद ही फायदेमंद नस्ल है. मुर्गियां प्रतिवर्ष 80 अंडे देती हैं.

सालभर में मिलता 225 अंडो, वजन भी होता है ज्यादा
वहीं ग्रामप्रिया को भारत सरकार द्वारा हैदराबाद स्थित अखिल भारतीय समन्वय अनुसंधान परियोजना के तहत विकसित किया गया है. इसे खास तौर पर ग्रामीण किसानों और जनजाति कृषि विकल्पों के तौर पर विकसित किया गया था. इसका वजन 12 हफ्तों में डेढ़ से 2 किलो हो जाता है. इसका मीट तंदूरी चिकन बनाने में ज्यादा इस्तेमाल होता है. ग्रामप्रिया औसतन 210 से 225 अंडे साल भर में देती है. इनके अंडों का रंग बड़ा होता है. इनका वजन 57 से 60 ग्राम होता है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

layer hen breeds
पोल्ट्री

Poultry: मुर्गियों को बीमारी से बचाने के लिए इन बातों का जरूर रखें ध्यान

नई दिल्ली. अगर आप मुर्गी पालन करते हैं आपको कुछ बातों का...

असम में पाई जाने वाली पाटी बत्तख की नस्ल बेहद प्रचलित है. पाटी बत्तख साल में करीब 70-95 अंडे देती है. यह नस्ल असम में पाई जाती है और इसे पारंपरिक रूप से असमिया लोगों द्वारा पाला जाता है.
पोल्ट्री

Pati Duck Assam: असम की पहचान है पाटी डक, जानिए एक साल में कितने अंडे देती है इसकी नस्ल

असम में पाई जाने वाली पाटी बत्तख की नस्ल बेहद प्रचलित है....

फाउल टाइफाइड के बारे में पोल्ट्री एक्सपर्ट कहते हैं कि ये बीमारी मुर्गी पालन को बहुत नुकसान पहुंचाने वाली बीमारी है.
पोल्ट्री

Poultry Farming : मुर्गियों के लिए जानलेवा है ये बीमारी, ये शुरुआती लक्षण दिखें तो बच सकती है जान

फाउल टाइफाइड के बारे में पोल्ट्री एक्सपर्ट कहते हैं कि ये बीमारी...