नई दिल्ली. भारत में लगातार दूध उत्पादन की मांग बढ़ती जा रही है. मांग को देखते हुए देश के किसान खेती के अलावा पशुपालन में भी अपना हाथ आजमां रहे हैं. पशुपालन में ज्यादातर किसान गाय और भैंस को पालना पसंद करते हैं. पशुपालन को फायदे का सौदा बनाने के लिए जरूरी है कि पशु ज्यादा से ज्यादा दूध दे और हर साल एक स्वस्थ बच्चे को भी जन्म दे लेकिन कई बार संतुलित आहार न मिलने की वजह से पशु कम दूध देने लगता है और पशुओं को लंबे समय तक उचित आहार न मिलने की वजह से वो कमजोर हो जाते हैं.
ऐसे में अगर पशुपालक किसान कुछ बातों का ध्यान रखें तो उन्हें पशुओं से अधिक दूध और स्वस्थ नस्ल मिलती है. खासकर पशु जब गाभिन यानी गर्भवती हो तो उसका खास ख्याल रखना चाहिए. ताकि पशुपालकों को ज्यादा फायदा मिल सके. एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर इस दौरान पशुओं का ठीक से ख्याल रखा जाए तो उनसे रिजल्ट अच्छे आते हैं. आईए जानते हैं कि गर्भवती पशुओं का ख्याल किस तरह रखा जाए.
आहार का रखें ध्यान
अगर मां की सेहत बेहतर है तो बच्चा स्वस्थ होता है. यह बात तो हम सभी जानते हैं. पशुपालन से लाभ पाने के लिए पशुपालक हमेशा स्वस्थ पशुओं को अपने साथ रखना पसंद करते हैं. बछड़े के बेहतर स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि उनकी मां को प्रसव से पहले और बाद में अच्छा आहार दिया जाए. इसलिए गर्भावस्था के दौरान गाय और भैंस के आहार का पूरा ध्यान रखना चाहिए.
3 महीने में तेजी से होता है विकास
पशुओं के पालन पोषण पर हर दिन ध्यान देने की आवश्यकता होती है. खासकर गर्भावस्था के दौरान गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल बदलाव के कारण जानवर बहुत संवेदनशील हो जाते हैं. आमतौर पर गाय गर्भधारण के 9 महीने और 9 दिन के अंदर बच्चे को जन्म देती और भैंस 10 महीने और 10 दिन के अंदर बच्चे की जन्म देती है. पशुओं के शरीर में गर्भावस्था के 6 से 7 महीने का दौरान बच्चों का विकास धीरे-धीरे होता है. जबकि आखिरी 3 महीने में बहुत तेजी के साथ होता है.
इन बातों का खास ख्याल रखें
गर्भवति पशुओं के गर्भ का विकास सातवें महीने में तेजी होता है. 6 से 7 महीने गर्भवती पशु को चराने के लिए लंबी दूरी पर नहीं ले जाना चाहिए. उबड़—खाबड़ रास्ते पर नहीं घूमना चाहिए. यदि गोविंद पशु दूध दे रहा है तो गर्भावस्था के सातवें महीने के बाद दूध निकलना बंद कर देना चाहिए. ग्रामीण पशु के चलने फिरने और बैठने के लिए पर्याप्त जगह होनी चाहिए. जिस स्थान पर ग्रामीण पशु को बांधा जाए या स्थान पीछे की ओर झुका नहीं होना चाहिए. गाभिन पशुओं को पीने के लिए प्रभावित 75 से 80 लीटर स्वच्छ और ताजा पानी देना चाहिए. जब पशु पहली बार गाभिन हो जाए तो 7 महीने के बाद उसे अन्य दूध देने वाले पशुओं के साथ बांध देना चाहिए और शरीर, पीठ और थन की मालिश करनी चाहिए.
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