नई दिल्ली. पोल्ट्री फार्मिंग में जब चूजों को पोल्ट्री फार्म में लाया जाता है तो पहले दिन से ही उनका खास ख्याल रखना होता है. अगर बात की जाए एक सप्ताह से लेकर दूसरे वीक में एंट्री करने तक की तो इस दौरान चूजों की ग्रोथ होती है. इसलिए उनकी ग्रोथ पर ध्यान देना चाहिए. इस पीरियड में चूजों को फीड देना शुरू करना चाहिए. इसके अलावा उन्हें ज्यादा पानी की भी जरूरत होती है. लिहाजा पानी की मात्रा भी बढ़ाई जानी चाहिए. एक्सपर्ट का कहना है कि पोल्ट्री फार्मर को ये जानना चाहिए कि एक सप्ताह से लेकर दूसरे हफ्ते में क्या—क्या करना है.
अगर इस बात की जानकारी पोल्ट्री फार्मर्स को होगी तो इससे चूजों की ग्रोथ बेहतर होगी और आगे चलकर बेहतर प्रोडक्शन मिलेगा और पोल्ट्री संचालकों को इसका फायदा होगा. पोल्ट्री एक्सपर्ट डॉ. इब्ने अली कहते हैं कि आठवें और नौवें दिन के मैनेजमेंट की बात की जाए तो 2 दिन तक सुबह के पानी में 30 ग्राम पायरोलिव डीएस और शाम को 30 ग्राम विरोकॉन प्रति 1000 चूजों को देना चाहिए. वहीं चूजों की ग्रोथ की नियमित रूप से निगरानी की जानी चाहिए. आवश्यकता पड़ने पर सेनिटाइजर दिया जा सकता है.
एक हजार चूजों पर कितना देना चाहिए पानी
वहीं दसवें से बारहवें दिन के प्रबंधन की बात की जाए तो 3 दिन तक सुबह के पानी में 40 ग्राम गाउटस्टर और शाम को 40 ग्राम ग्रोटेक प्रति 1000 चूजों को दें. इस दौरान सही से ग्रोथ न होने पर ग्रोटेक देनी चाहिए. कम वजन वाले चूजों में ग्रोटेल का अच्छा प्रभाव होता है. ग्रोथ की नियमित रूप से निगरानी की जानी चाहिए. जरूरत पड़ने पर सेनिटाइजर देते रहें. 10वें दिन कुल फ़ीड खपत लगभग 300 किलोग्राम प्रति 1000 चूजे होनी चाहिए. प्रति 1000 चूजों पर रोजाना पानी की मात्रा लगभग 100 लीटर होती है. 9 या 10वें दिन तक ब्रूडर को हटाया जा सकता है. क्षेत्रफल बढ़ाया जाना चाहिए.
कितना होना चाहिए वजन
बायो सिक्योरिटी कड़ी रखी जानी चाहिए. फार्म में वेंटिलेशन बढ़ाएं. सर्दियों में धूल और अमोनिया को नियंत्रित करना चाहिए. इसके लिए फिटकरी का स्प्रे फायदेमंद साबित हो सकता है. 13 से 15 में जब चूजें प्रवेश करें तो 3 दिन तक सुबह के पानी में 50 ग्राम नेक्साम्यून दें. यदि खराब ब्रूडिंग और ज्यादा ठंड के तापमान के कारण जलोदर की समस्या होने का अंदेशा हो तो शाम के समय प्रति 1000 चूजों को 70 ग्राम एसिटॉक्स दें. 14वें दिन तक 1000 चूजों का वजन 430-450 किलोग्राम हो जाना चाहिए. इस समय पक्षियों को स्टार्टर आहार पर स्विच करना चाहिए. चारा बदलने के बाद मल की जांच करें यदि ढीला मल दिखाई दे तो रेमिप्रो दें. ठंडे तापमान में भी दिन के समय उचित वेंटिलेशन प्रदान किया जा सकता है. ध्वनि समस्या पर भी नजर रखें.
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