नई दिल्ली. सर्दियों के मौसम में पशुओं को सामान्य दिनों के मुकाबले ज्यादा देखभाल की जरूरह होती है. तापमान में गिरावट आने से पशुओं में संक्रमण हो जाते है और उनके बीमार होने का अंदेशा बना रहता है. इससे पशु कम चारा खाना शुरू कर देता है. जिसे उपचार दिलाने में पशुपालकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. साथ-साथ पशु कमजोर भी हो जाता है. बाद में पशु दूध देना भी बंद कर देता है. कई बार बीमारी बढ़ने पर पशु की मौत भी हो जाती है. इसके लिए हमें ठंड के मौसम मे पशुओ के रख रखाव और पोषण पर विशेष ध्यान देना चाहिए. इसके अलावा ठंड में पशुओं को बीमारियों से बचाने के लिए पशुपालन विभाग की ओर से चलाए जाने वाले विशेष टीकाकरण अभियानों में टीके लगवाने चाहिए. जिससे पशु ठंड के मौसम में निरोग रह सकें.
ठंड के दिनों में थोड़ा सा बदलाव करके पशुओं को स्वस्थ रखने के साथ-साथ उनसे अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है. ठंड के मौसम में पशुओं की वैसे ही देखभाल करें, जैसे हम लोग अपनी करते हैं. उनके खाने-पीने से लेकर उनके रहने के लिए अच्छा प्रबंध करें, ताकि वो बीमार न पड़ें और उनके दूध उत्पादन पर प्रभाव न पड़े. खासकर नवजात तथा छह माह तक के बच्चों की विशेष देखभाल करना चाहिए. सर्दियों के मौसम में पशुपालक भाइयो को कुछ बातों पर जरूर ध्यान देना चाहिए.
ज्यादा ठंड में पशुओं के पास जलाएं अलाव
पशुपालक कोशिश करें कि पशुबाड़े में गोबर और पेशाब की निकासी की उचित व्यवस्था हो. ताकि जलभराव न हो पाए. पशुबाड़े को नमी तथा सीलन से बचाएं और ऐसी व्यवस्था करें कि सूरज की रोशनी पशुबाड़े में देर तक रहे. ज्यादा सर्दी के समय पशुओं को जूट के बोरे बनाकर ओर अच्छी तरीके से पहना दें. इसके अलावा गर्मी के लिए पशुओं के पास अलाव जला कर भी रख सकते हैं. नवजात पशु को खीस जरूर पिलाएं, इससे बीमारी से लड़ने की क्षमता में वृद्धि होती है. प्रसव के बाद मां को ठंडा पानी न पिलाकर गुनगुना पानी पिलाएं. गर्भित पशु का विशेष ध्यान रखें व प्रसव में जच्चा-बच्चा को ढके हुए स्थान में बिछावन पर रखकर ठंड से बचाव करें.
पशुओं को शीतलहर से ऐसे बचाएं
ठंड के मौसम में पशुपालन करते समय, पशुओं के आवास प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना चाहिए. सर्दी के मौसम में अंदर व बाहर के तापमान में अच्छा खासा अंतर होता है. पशु के शरीर का सामान्य तापमान विशेष तौर से गाय व भैंस का क्रमश 101.5 डिग्री फार्नहाइट व 98.3-103 डिग्री फार्नहाइट (सर्दी-गर्मी) रहता है और इसके विपरीत पशुघर के बाहर का तापमान कभी-कभी शून्य तक चला जाता है. यानि पाला तक जम जाता है. इसलिए इस ठंड से पशु को बचाने के लिए पशुशाला के दरवाजे व खिड़कियों पर बोरे लगाकर सुरक्षित करें. जिससे पशुओं पर शीतलहर का सीधे असर न पड़ सके.
इस तरह का खास बिस्तर करें तैयार
जहां पशु आराम करते हैं, वहां पुआल, भूसा, पेड़ों की पत्तियां बिछाना जरूरी है. इन सब चीजों जेसे पुआल, भूसा, पेड़ों की पत्तियां एवं पुराने कपड़े ओर बोरो को सिलकर एक मोटा गद्दा भी बनाया जा सकता है जो पशु के बैठने के लिए काफी आरामदायक और अच्छा साबित होता है. बिछावन समय-समय पर बदलते रहें ताकि पशु को गीला होने से बचाया सके. सर्दियों मे पशुओं के चराने फिराने का समय भी बदल देना चाहिए, ताकि उन्हें ठंड लगने से बचाया जा सके. इसलिए सुबह नौ बजे से पहले और शाम को पांच बजे के बाद पशुशाला से पशु को बाहर न निकालें.
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