Home पशुपालन Animal Husbandry: पशुओं के डकार लेने और पाद मारने पर लगा टैक्स, जानें क्यों लिया गया ये फैसला
पशुपालन

Animal Husbandry: पशुओं के डकार लेने और पाद मारने पर लगा टैक्स, जानें क्यों लिया गया ये फैसला

exotic cow breeds in india
प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. दुनियाभर के अलग-अलग देशों में कई वजहों से टैक्स लगता है. कहीं कार पर टैक्स लगता है तो कहींं रोड पर, लेकिन क्या आपने कभी सोचा था कि पशुओं कि डकार लेने और पाद मारने की प्राकृतिक प्रक्रिया पर टैक्स लग सकता है. जी हां, आपने सही पढ़ा है. डेनमार्क देश ने अपने यहां पशुओं के डकार लेने और पाद मारने पर टैक्स लगा दिया है. दुनियाभर में यह पहला मामला है, जब पशुओं की इस तरह की प्राकृतिक प्रक्रिया पर टैक्स लगाया गया हो. हालांकि इसके पीछे की वजह बड़ी अहम, जिसे आप जरूर जानना चाहेंगे.

डेनमार्क एक ऐसा देश है, जहां पर पशुओं के मुकाबले इंसानों की आबादी बेहद ही कम है. पशु इंसानों के मुकाबले लगभग पांच गुना है. वहीं यहां पर लगभग दो तिहाई जमीन कृषि के इस्तेमाल में ली जाती है. आपको ये जानकारी होगी ही कि पशुओं से एक तरह की गैस निकलती है, जिसे मीथेन कहा जाता है. ये इंसानों के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छी नहीं होती है. यही वजह है कि जानवरों द्वारा उत्सर्जित मीथेन गैस पर काबू पाने के लिए ये कदम उठाया गया है. इसी महीने डेनिश संसद द्वारा एक कानून पारित किया गया, जिसमें पशुओं की डकार और पाद मारने पर टैक्स लगाया गया है.

ग्रीनहाउस गैस को कम करना है मकसद
डेनमार्क सरकार की फैसले के मुताबिक साल 2030 से पशुधन किसानों पर उनकी गायों, भेड़ों और सूअरों से उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैस के लिए टैक्स लिया जाएगा. बताते चलें कि डेनमार्क एक प्रमुख डेयरी पोर्क निर्यातक देश है. टैक्स मिनिस्टर जेप्पे ब्रुस ने कहा है कि डेनमार्क सरकार का लक्ष्य 2030 तक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को 1990 के स्तर जाने यानि 70 फीसदी तक कम करने पर है. यही वजह है कि इसको टैक्स के दायरे में लाया गया है. बताते चलें कि राष्ट्रीय अमेरिका राष्ट्रीय महासागरीय एवं वायुमंडलीय प्रशासन के अनुसार मिथेन कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में काफी ज्यादा चर्चित है, जो 20 साल की अवधि में लगभग 27 गुना अधिक है. संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार मानव जनित मीथेन उत्सर्जन में पशुधन का योगदान लगभग 32 फीसदी है.

कितनी मात्रा में गैस का होता है उत्सर्जन
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रिसचर्स ने पशुओं के पेट फूलना और पृथ्वी की जलवायु के बीच संबंधों की जांच के लिए एक रिसर्च किया था, जिसमें आश्चर्यजनक नतीजे सामने आए थे. डेनमार्क के एक ग्रीन थिंक टैंक के मुताबिक डेनमार्क की डेयरी गाय जो मवेशियों की आबादी एक बड़ा हिस्सा है, प्रतिवर्ष 5 से 6 टन CO2 से मिलती जुतली गैस उत्सर्जित करती है. एक गाय हर साल 200 किलोग्राम तक मीथेन गैस उत्पन्न करती है, जो मुख्य रूप से डकार के माध्यम से उत्पन्न होती है. इसके अलावा कुछ गैस गोबर के माध्यम से उत्पन्न होती है, एक सामान्य डेनमार्क गाय हर साल 6 मीट्रिक टन यानी 6.6 टन CO2 से मिलती-जुलती गैस का उत्सर्जन करती है.

कितना लगेगा टैक्स, पढ़ें यहां
आपको बता दें कि टैक्स 2030 से लगाया जाएगा. पशुधन से प्रतिदिन CO2 से मिलती-जुलती गैस उत्सर्जन के लिए 43 अमेरिकी डॉलर टैक्स लिए जाएंगे. वहीं 2035 में से बढ़कर 107 अमेरिकी डॉलर कर दिया जाएगा. वहीं 60 फीसदी टैक्स की छूट होगी. जिसका मतलब यह है कि किसानों को 2030 के प्रति वर्ष पशुधन उत्सर्जन के लिए 17 डॉलर का टैक्स देना होगा. 2035 में इसे बढ़ाकर 43 डॉलर कर दिया जाएगा.

Written by
Livestock Animal News

लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज (livestockanimalnews.com) एक डिजिटल न्यूज प्लेटफार्म है. नवंबर 2023 से ये लगातार काम कर रहा है. इस प्लेटफार्म पर एनिमल हसबेंडरी () यानि मुर्गी पालन, डेयरी (), गाय-भैंस, भेड़-बकरी, घोड़ा, गधा, मछली और पशुपालन, चारा, पशु चिकित्सा शि‍क्षा से जुड़ी खबरें पढ़ने को मिलती हैं. ऐग और चिकन के रोजाना बाजार भाव भी इस प्लेटफार्म पर प्रकाशि‍त किए जाते हैं. नेशनल मीडिया जैसे न्यूज18 हिंदी, हिन्दुस्तान, अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर में काम कर चुके पत्रकार (रिर्पोटर) की टीम लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज के लिए खबरें और स्टोरी लिखती है. केन्द्र सरकार के Poultry, Cow, Buffalo, Goat, Sheep, Camel, Horse (Equine), Fisheries, Donkey, Feed-Fodder and Dairy रिसर्च इंस्टीट्यूट के साइंटिस्ट से बात कर उनकी रिसर्च पर आधारित न्यूज-स्टोरी लिखी जाती हैं. इसके साथ ही लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज प्लेटफार्म पर एनिमल साइंस और वेटरनरी कॉलेज-यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और एक्सपर्ट से बात करके खबरें लिखी जाती हैं और उनके लिखे आर्टिकल भी पब्लिूश किए जाते हैं. ये सभी स्टोरी और स्टोरी से जुड़े वीडियो सोशल मीडिया फेसबुक, यूट्यूब (YouTube), इंस्टाग्राम, एक्स (ट्विटर) और लिंक्डइन पर शेयर किए जाते हैं. पशुपालकों की सक्सेट स्टोरी लिखी जाती हैं. उसी सक्सेस स्टोरी के वीडियो बनाकर उन्हें लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज के यूट्यूब चैनल पर पब्लिैश किया जाता है. अंग्रेजी में भी न्यूज और आर्टिकल पब्लिाश किए जाते हैं. लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज पशुपालन, मछली पालन, मुर्गी पालन और डेयरी से जुड़े विषयों पर होने वाली सेमिनार, वर्कशॉप और एक्सपो को भी कवर करता है. साथ ही एनिमल हसबेंडरी मंत्रालय से जुड़ी खबरें भी कवर करता है. बाजार में आने वाले नए प्रोडक्ट की जानकारी भी इस प्लेटफार्म पर दी जाती है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

अच्छी फसल और अच्छी नस्ल दोनों पशुपालन में मायने रखती हैं. ठीक उसी प्रकार बकरी पालन में भी ये नियम मायने रखता है.
पशुपालन

Goat: मीट और दूध उत्पादन के लिए पालें किस नस्ल की बकरी, जानें यहां

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) की मानें तो बकरी पालन में...

livestock animal news
पशुपालन

Goat: गाय-भैंस के मुकबाले क्यों बकरी पालन है ज्यादा फायदेमंद, पढ़ें यहां

ग्रामीण जनसंख्या का बहुत बड़ा भाग जो गरीब है, बकरी के दूध...

सीता नगर के पास 515 एकड़ जमीन में यह बड़ी गौशाला बनाई जा रही है. यहां बीस हजार गायों को रखने की व्यवस्था होगी. निराश्रित गोवंश की समस्या सभी जिलों में है इसको दूर करने के प्रयास किया जा रहे हैं.
पशुपालन

AI: बिना रजिस्ट्रेशन सीमेन करोबार किया तो लगेगा 15 लाख का जुर्माना, इस राज्य में पास हुआ कानून

पंजीकरण नहीं कराने पर सीमेन स्टेशन 15 लाख रुपये, भ्रूण प्रत्यारोपण प्रयोगशाला...