नई दिल्ली. पशु पालन व्यवसाय से इनकम का मुख्य सोर्स पशुओं द्वारा उत्पादित दूध से अथवा दुधारू पशुओं से पैदा किये गये बछड़े या फिर बछडियो से होता है. इस व्यवसाय को लगातार फायदेमंद बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि पाले जा रहे दुधारु पशुओं से लगातार दूध उत्पादन लिया जाए. दूध उत्पादन में कोई कमी न होने पाए. ताकि दूध बेचकर पशुपालक कमाई करते रहें. जब दूध उत्पादन कम हो जाता है तो पशुपालकों की इनकम भी कम हो जाती है. इसलिए जरूरी है कि दूध का उत्पादन बना रहे.
एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि डेयरी व्यवसाय में अक्सर दूध उत्पादन घट जाता है. क्योंकि पशुओं में बांझपन और प्रजनन से जुड़ी हुई कई बीमारी हो जाती हैं. जिससे पशुओं के ब्याने में दिक्कतें आती हैं. इसलिए पशुओं को लगातार दूध में रखने के लिए यह जरूरी है कि पशुपालक भाई अपने पशुओं को बांझपन और प्रजनन सम्बन्धी रोगों से बचाएं. ताकि पशुपालन में लगातार फायदा मिलता रहे. इस आर्टिकल में हम आपको प्रजनन से जुड़ी कुछ अहम बातों को बताते जा रहे हैं, जिसका असर दूध उत्पादन पर पड़ता है.
प्रजनन अंगों में आती हैं ये दिक्कतें
एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि पशुओं में जन्म से ही जनन ग्रन्थियों में खराबी आने के कारण प्रजनन अंगों में परिवर्तन हो जाता है. ऐसी स्थिति में जब मादा पशु विकसित होते हैं तो प्रजनन से वंचित रह जाते हैं. इन पशुओं की आमतौर डिम्बग्रंथी, अण्डनली, गर्भाशय तब्दील हो जाते हैं. जबकि एक्सपर्ट के मुताबिक ये अंग प्रजनन के लिए बेहद ही जरूरी होते हैं, जो बनते ही नही है, ऐसी स्थिति में ऐसे पशु कभी भी प्रजनन नहीं कर सकते हैं. इसलिए ऐसे पशुओं को दूध के लिए पालने की बजाय पहले नजदीकी पशु चिकित्सालय में पशु चिकित्सक से परीक्षण करवा लेना चाहिए. अगर इलाज से पशु ठीक हो जाए तो ठीक है. अगर उस पशु में ऐसी कोई बीमारी हो जिससे वह कभी भी दुधारु नही हो सकता है तो उसे गोसदनों में निस्तारित करना चाहिए.
इनसे भी नहीं मिलता है दूध
एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि कई बार ऐसा भी होता है कि ऐसे पशु कभी भी दूध नहीं देते हैं. इसके लिए कुछ नहीं किया जा सकता है. वहीं कई बार गाय के ब्याने पर दो बच्चे प्रजनित होते हैं. उसमें आमतौर वह जोड़ा जिसमें एक बछड़ा और दूसरी बछड़ी पैदा हुई हो तो ऐसे जोड़े में जो बछड़ी पैदा होती है यह कभी भी प्रजनन नहीं कर सकती है. क्योंकि उसके साथ जो बछड़ा पैदा हुआ है उसके कारण गर्भाशय में ही इस बछडी के जनन अंग तब्दील हो जाते हैं. इसलिए पशु पालक भाइयों को यह जरूर मालूम होना चाहिए कि ऐसी बछड़ी कभी भी दुधारू पशु नहीं बन सकेगी.
Leave a comment