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RGM: आधुनिक पशुपालन को बढ़ावा देने को राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत सरकार ने किये ये काम, पढ़ें डिटेल

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. सरकार पशुपालन को बढ़ावा दे रही है. इसके लिए कई काम किये जा रहे हैं. देश के सभी राज्यों में आधुनिक पशुपालन के तरीकेे, उन्नत प्रजनन के तरीकों को अपनाने और पशुधन उत्पादकता में वृद्धि के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन (RGM) के तहत कई काम किया गया है. इसके लिए देशभर में कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम चलाया जा रहा है. राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत, पशुपालन और डेयरी विभाग 50 फीसदी से कम कृत्रिम गर्भाधान कवरेज वाले जिलों में कृत्रिम गर्भाधान कवरेज का विस्तार कर रहा है. ताकि देशी नस्लों सहित बोवाइन पशुओं के दूध उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ावा दिया जा सके.

वहीं कार्यक्रम के तहत कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं किसानों के द्वार पर फ्री पहुंचाई जाती हैं. आज तक की स्थिति के अनुसार, 7.3 करोड़ पशुओं को कवर किया गया है, जिसमें 10.17 करोड़ कृत्रिम गर्भाधान किए गए हैं, जिससे देश में 4.58 करोड़ किसानों को फायदा हुआ है. राजस्थान में, 45.26 लाख पशुओं को कवर किया गया है, जिसमें 55.99 लाख कृत्रिम गर्भाधान किए गए हैं, जिससे 32.47 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं और झारखंड में 22.21 लाख पशुओं को कवर किया गया है, जिसमें 27.34 लाख कृत्रिम गर्भाधान किए गए हैं, जिससे 15.81 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं.

प्रेग्नेंसी टेस्ट और नस्ल चयन
इस कार्यक्रम का उद्देश्य देशी नस्लों के सांडों सहित उच्च आनुवंशिक गुणता वाले सांडों का उत्पादन करना है. प्रेग्नेंसी टेस्ट को गोपशु की गिर, साहीवाल नस्लों तथा भैंसों की मुर्राह, मेहसाणा नस्लों के लिए चलाया जा रहा है. नस्ल चयन कार्यक्रम के तहत गोपशु की राठी, थारपारकर, हरियाना, कांकरेज नस्ल और भैंस की जाफराबादी, नीली रवि, पंढारपुरी और बन्नी नस्लों को शामिल किया गया है. अब तक 3,988 उच्च आनुवंशिक गुणवत्त वाले सांडों का उत्पादन किया गया है और उन्हें सीमेनन त्पादन के लिए शामिल किया गया है. सेक्स-सॉर्टेड वीर्य का उपयोग करके त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम का उद्देश्य 90 फीसदी सटीकता के साथ बछियों का उत्पादन करना है, जिससे नस्ल सुधार और किसानों की आय में वृद्धि हो. किसानों को सुनिश्चित गर्भधारण के लिए सेक्स-सॉर्टेड सीमेन की लागत के 50 फीसदी तक सहायता मिलती है. अब तक, इस कार्यक्रम से 341,998 किसान लाभान्वित हो चुके हैं.

आईवीएफ तकनीक का इस्तेमाल
इस तकनीक का उपयोग बोवइन पशुओं के तेजी से जेनेटिक अपग्रेड के लिए किया जाता है और आईवीएफ तकनीक अपनाने में दिलचस्पी रखने वाले किसानों को हर गर्भावस्था पर 5 हजार रुपये का प्रोत्साहन उपलब्ध कराया जाता है. देशी नस्लों के उत्कृष्ट पशुओं के प्रजनन के लिए, विभाग ने 22 आईवीएफ प्रयोगशालाएँ स्थापित की हैं और 22,896 व्यवहार्य भ्रूण तैयार किए हैं, जिनमें से 12,846 भ्रूण हस्‍तांतरित किए गए और 2019 बछड़े और बछड़ियों का जन्म हुआ.

जीनोमिक सेलेक्शन
गोपशु और भैंसों के जेनेटिक सुधार में तेजी लाने के लिए, विभाग ने देश में जीनोमिक चयन शुरू करने के लिए विशेष रूप से तैयार की गईं एकीकृत जीनोमिक चिप्स विकसित की हैं. देशी गोपशुओं के लिए गौ चिप और भैंसों के लिए महिष चिप बनाई गई ळै. कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन योजना के तहत किसानों के द्वार पर गुणवत्तापूर्ण कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं प्रदान करने के लिए ट्रेनिंग दी जाती है. पिछले 3 वर्षों के दौरान राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत 38,736 मैत्री को ट्रेनिंग दी गई है.

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