नई दिल्ली. मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई योजनाएं चल रही है. खासतौर पर प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत कई योजनाओं का संचालन किया जा रहा है. जिसके जरिए किसानों की आर्थिक मदद की जा रही है. जिससे किसान अपना मछली पालन का काम शुरू कर पा रहे हैं और इससे उन्हें खूब इनकम हासिल हो रही है. किसनों की आय भी दोगुनी हो रही है. वहीं उनकी आजीविका का साधन भी बन रहा है. जबकि फिश फार्मिंग शुरू करने वाले किसान दूसरों को रोजगार भी दे रहे हैं. इससे हर तरह से फायदा मिल रहा है. अगर आप भी सरकार की योजना का फायदा उठाकर मछली पालन करना चाहते हैं तो इस खबर को पूरा पढ़ें.
इस आर्टिकल में हम बात करने जा रहे हैं, प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना स्कीम के तहत छोटी आरएएस यूनिट का निर्माण करने के लिए मिलने वाली आर्थिक मदद का. इस मदद से एक टैंक 103 मीटर टैंक क्षमता सहित बायोफ्लाक मत्सय पालन 7 टैंक जोकि 4 मीटर डाया व 1.5 मीटर ऊंचाई वाला बनाने के लिए सरकार लाखों रुपए की मदद कर रही है. मछली किसान चाहें तो बायोफ्लाक तकनीक का इस्तेमाल करके मछली का उत्पादन कर सकते हैं. इसके लिए सरकार से मदद भी ले सकते हैं.
सरकार ओर से कितनी मिलेगी आर्थिक मदद
केंद्र सरकार की ओर से चलाई जा रही इस योजना के तहत छोटी रस बायोफ्लाक यूनिट का निर्माण करने के लिए भारत सरकार द्वारा 7 लाख 50 हजार रुपए प्रति यूनिट बनाने का रेट तय किया गया है. अगर आप सामान्य वर्ग से है तो इतनी धनराशि का 40 फीसदी सरकार आपको आर्थिक मदद देगी. जबकि महिला और अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने लोगों को 60 फीसदी तक अनुदान देने की बात सरकार ने कही है.
इन कागजात पड़ेगी जरूरत
योजना का फायदा लेने के लिए जन्म प्रमाण पत्र, मतदाता कार्ड, जन्म तिथि प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, हाई स्कूल का सर्टिफिकेट देना होगा. जाति प्रमाण पत्र तहसीलदार द्वारा जारी होना चाहिए. मत्स्य विभाग से कॉन्ट्रैक्ट भी साइन कराना होगा. वहीं मछली पालन की ट्रेनिंग लेना भी जरूरी है. जिस भूमि पर टैंक का निर्माण होना है, उसके कागजात भी जमा करने होंगे. उसके बाद लाभार्थी को बायोफ्लॉक यूनिट के साथ फोटो भी क्लिक करनी होगी. बैंक खाते और पैन कार्ड की डिटेल भी देनी है. इस सेवा के लिए कोई शुल्क भी नहीं देना है.
ये हैं योजना की शर्तें
लाभार्थी के पास अपना पहचान पत्र होना जरूरी है. लाभार्थी को जमीन की दस्तावेज देने होंगे. जिसमें किसी भी व्यक्ति द्वारा संस्थान से कोई मदद ली गई है तो योजना का लाभ नहीं मिलेगा. किसी भी सतही जल स्रोत जैसे नहर, नदी, कुएं, ट्यूबवेल आदि के पास ही बायोफ्लॉक का निर्माण किया जा सकता है. इसके निर्माण के बाद संचालन, प्रबंधन और रखरखाव पर आने वाले खर्च को खुद लाभार्थी द्वारा वहन किया जाएगा.
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