नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश सरकार के पशुपालन विभाग की ओर से पशुओं के कृत्रिम गर्भाधान का कार्यक्रम चल रहा है. हालांकि इसकी गति बेहद ही सुस्त पड़ गई है. तभी तो प्रदेश के पशुधन एवं दूग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह भी इससे खासा नाराज दिखे. उन्होंने कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम में बरती जा रही सुस्ती पर चिंता जाहिर की और तेजी लाने सख्त निर्देश जारी किए हैं. उन्होंने बताया की नस्ल सुधार के लिए कृत्रिम गर्भाधान जरूरी है. इसलिए इसमें तेजी लाना भी जरूरी है. प्रदेश में देसी नस्ल सुधार और दूध उत्पादन में बढ़ोतरी और किसानों एवं पशुपालकों की आय में इजाफा करने के मकसद से इस योजना को चलाया जा रहा है.
इस कार्य में लापरवाही और उदासीनता बरतने पर मंत्री ने नाराजगी जाहिर की है और उन्होंने जल्द से जल्द कृत्रिम गर्भाधन के तय लक्ष्यों को पूरा करने का निर्देश जारी किया है. मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि निराश्रित गोवंश संरक्षण का कार्य भी प्राथमिकता के आधार पर किया जाए. साथ गौ आश्रय स्थलों पर चारा-भूसा, पेयजल के साथ-साथ दवाइयां की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित की जाए. इसमें भी कोई लापरवाही न बरती जाए.
इस मकसद से चल रहा है ये कार्यक्रम
गौरतलब है कि पशुओं के नस्ल सुधार के लिए उत्तर प्रदेश सरकार विभाग के पशुपालन विभाग की ओर से कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है. इसका मकसद है कि पशुपालकों को अच्छी नस्ल की सीमेन उपलब्ध कराए जाएं. निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने के लिए कार्य किया जा रहे हैं. विभाग के द्वारा पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान पूरी तरह से फ्री किया जा रहा है. प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम में रफ्तार लाने के लिए निर्देश दिए हैं.
15 लाख के पार गौवंशों की संख्या
साथ ही बताते चलें कि उत्तर प्रदेश में निराश्रित गौवंश की संख्या अब तेजी के साथ बढ़ नहीं है. सरकार की ओर से अब तक 6492 अस्थाई गौआश्रय स्थल बनाए गए हैं. इसके अलावा 297 वृहद गौसंरक्षण केंद्र, 273 गौआश्रय स्थल और 300 काजी हाउस का संचालन किया जा रहा है. इन गौआश्रय स्थलों में 15 लाख 6482 को गौवंशों को संरक्षित किया गया है. जबकि यहां पर पर्याप्त मात्रा में चार भूसा पेयजल और दवाइयां की व्यवस्था प्रदेश सरकार की ओर से की जा रही है.
ईयर टैगिंग का निर्देश
वहीं निराश्रित गौवंशों की समस्या को रोकने के लिए पशुओं की ईयर टैगिंग के कार्य में तेजी लाने का निर्देश भी मंत्री धर्मपाल सिंह की ओर से दिया गया है. पशुओं की ईयर टैगिंग के जरिए उसके मालिक का आसानी से पता किया जा सकता है. साथ ही संक्रामक रोगों और पशुओं के उपचार के लिए दवाइयां और वैक्सीन की उपलब्धता को भी सुरक्षित किया जा सकता है. इसलिए मंत्री ने इस कार्य में तेजी लाने का निर्देश दिया है.
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