नई दिल्ली. पशु जो चारा खाते हैं उसे दूध के रूप में किसानों को वापस लौटाते हैं. डेयरी व्यवसाय करने वाले लोग इस बात को जानते ही होंगे कि, इस व्यवसाय में चारे पर 70 से 80 फीसदी खर्च होता है. पशुओं को हरा चारा, सूखा चारा और दाना दिया जाता है. इससे उन्हें जरूरी पोषण मिलता है और फिर प्रोडक्शन अच्छा होता है. अब चारा उत्पादन के सरकारी आंकड़ों पर गौर किया जाए तो 2025 में चारे की उपलब्धता 411 मिलियन टन तक होने का अनमुान है. जबकि सूखे चारे की 488 तक लेकिन इसकी मांग भी बढ़ेगी. सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक 2025 में 1170 मिलियन टन हरा चारा और 650 मिलियन टन सूखा चारा चाहिए होगा.
इस आंकड़ों के मुताबिक 60 फीसदी से ज्यादा हरे चारे की कमी होने वाली है. जबकि सूखा चारा भी कम रहेगा. मौजूदा में मांग और आपूर्ति के इस फर्क को पाटने के लिये और फूडग्रेंस पर इंसानों और पशुओं की इस प्रतिस्पर्धा को कम करने के लिये वर्ष भर हरा चारा उत्पादन तकनीकियों के माध्यम से वैज्ञानिक खेती की आवश्यकता है. इसको करने से चारा की कमी को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
ताकि मिट्टी की हैल्थ पर न पड़े असर
फसल चक्र के मेथड को अपनाते हुए फसल चक्र में तमाम दलहनी (बरसीम, लोबिया, ग्वार आदि) एवं अदलहनी (जई, मक्का, ज्वार, बाजरा, मकचरी आदि) फसलों का इस प्रकार समावेश करना चाहिये कि हर इकाई से ज्यादा से ज्यादा उत्पादन लिया जाए ताकि मिट्टी की हैल्थ पर विपरीत प्रभाव न पड़े. साथ ही समस्त संसाधनों जैसे पशुधन चारे के से प्राप्त गोबर, सिंचाई पानी, उर्वरक आदि का बेहतर प्रबन्धन भी आवश्यक है. बढ़ती मांग को देखते हुये फ्यूचर में चारे की सघन खेती करते हुये अधिक उत्पादन देने वाली ऐसी फसलो तथा प्रजातियों का चयन करना होगा. जिनका चारा भी अधिक पौष्टिक हो. सालभर हरा चारा उत्पादन के लिए सघन फसल साइकल को अपनाना चाहिए.
क्या है फसल चक्र
- बरसीम, सरसों, मक्का और लोबिया
- मक्का लोबिया मक्का लोबिया जई मक्का लोबिया
- बाजरा + ज्वार (2 कटाई) एक वर्षीय ल्यूसर्न (6 कटाई)
- ज्वार लोबिया जई मक्का लोबिया
- ज्वार लोबिया बरसीम सरसों मक्का लोबिया
- ज्वार + बाजरा लोबिया ग्वार ज्वार जई सरसों
- मक्का लोबिया बरसीम सरसों मक्का लोबिया
- मकचरी या ज्वार लोबिया बरसीम जई मक्का लोबिया
ये काम भी जरूर करें
चारा प्रोडक्शन के लिए डेयरी फार्म की जरूरत और उपलब्ध संसाधनों के आधार पर वार्षिक कार्य योजना बनानी चाहिये. जिसमें ली जाने वाली चारा फसलों की बुवाई तथा चारे की उपलब्धता का माहवार खाका बना लेना चाहिये. सालभर हरे चारे की फसलों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए माहवार कुछ फसलों को लगाएं.
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