नई दिल्ली. बकरी पालन से जुड़े जानकार ये कहते हैं कि बकरी पालन में तब नुकसान होता है जब उनकी मृत्युदर में इजाफा हो जाता है. खासतौर पर बरसात के वक्त बकरियों को हरा चारा खाने की वजह से कई बीमारियां हो जाती हैं. उनके पेट में कीड़े पड़ जाते हैं और दस्त भी हो जाता है. पशु पालकों को ये जान लेना चाहिए कि नीम, अमरुद, जामुन, मोरिंगा, बेल समेत बहुत सारे ऐसे पेड़-पौधे हैं, जिसमें बकरियों को दी जाने वाली दवाओं के गुण मौजूद हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि बरसात के मौसम में ऐसे पौधों की पत्तियां खिलाने भर से बकरियों को कई तरह की बीमारियों से बचाया जा सकता है. वहीं जब बकरी खुद से खेत या जंगल में चरती हैं तो बीमार होने पर जरूरत के मुताबिक खुद ही उस पेड़-पौधे की पत्तियों को खा लेती हैं, जिससे वो ठीक हो सके.
वहीं जो लोग बकरे और बकरियां फार्म में पालते हैं तो उन्हें खुले में चरने का मौका नहीं मिल पाता है. ऐसे में समय-समय पर चारे के रूप में नीम, अमरुद, जामुन, मोरिंगा खिलाकर कई तरह की बीमारियों से बकरियों को बचाया जा सकता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि बहुत से पशु पालक बकरे और बकरियों को फार्म में ही पालते हैं, क्योंकि उनके आसपास खुले मैदान और जंगल नहीं होते हैं. इससे बकरी को नीम, अमरुद, जामुन, मोरिंगा आदि पेड़-पौधे की पत्तियां खााने को नहीं मिल पाती है, जो उनके लिए बेहद जरूरी भी है.
वहीं केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा में इन चारे की दवाएं भी बनाई जाती है. संस्थान का कहना है कि बाजार में कई कंपनियां इन दवाओं को बेचती हैं. जबकि सीआईआरजी में भी यह दवाएं कम दाम में दी जाती है. सीआईआरजी के साइंटिस्ट बताते हैं कि बरसात के मौसम में हरा चारा ज्यादा खाने के चलते और दूषित पानी पीने के कारण बकरियों को डायरिया समेत कई तरह की बीमारी होने का खतरा रहता है. ऐसे वक्त में ये सभी पांच तरह के हरे चारे बकरियों के पेट को ठीक रखते हैं.
पेट में कीड़े होने से भी बचाते हैं
सीआईआरजी की सीनियर साइंटिस्ट नीतिका शर्मा कहती हैं कि अमरुद, नीम और मोरिंगा में टेनिन कांटेंट और प्रोटीन की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. एक्सपर्ट कहते हैं कि तीनों पेड़-पौधे की पत्तियां बकरियों को यदि खिलाई जाए तो सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि बकरियों के पेट में कीड़े नहीं होंगे. यदि बकरियों के पेट में कीड़े होंगे तो पशुपालक जितना भी बकरे और बकरियों को खिलाएगा वो उनके शरीर को नहीं लगेगा और उसके चलते बकरे और बकरियों की ग्रोथ नहीं हो पाती है. खासतौर पर जो लोग बकरियों को फार्म में पालते हैं और स्टाल फीड कराते हैं उनका इन बातों का जानना बहुत जरूरी है.
नीम गिलोय का क्या है फायदा
नीतिका शर्मा कहती हैं कि खुले मैदान में या फिर किसी जंगल में नीम गिलोय बहुत ही आसानी से दिख जाता है. जबकि ये अक्सर नीम के पेड़ पर भी मिल जाता है. इस वजह से भी लोग इसे नीम गिलोय कहते हैं. स्वाद में यह कड़वा होने वाला नीम गिलोय की पत्तियां को बकरी के बच्चों को खिलाएं तो उनके शरीर में बीमारियों से लड़ने की ताकत बढ़ जाती है. यह बच्चे जल्द ही बीमार भी नहीं पड़ते, जिससे पशुपालकों को बकरियों की मृत्य दर को कम करने में मदद मिलती है. ये बात साफ हो चुकी है कि बकरी पालन में सबसे ज्यादा नुकसानदायक कुछ है तो बकरी के बच्चों की मृत्य दर ही है. बारिश के मौसम में खासतौर पर संक्रमण रोग बहुत तेजी से फैलता है और नीम गिलोय इसी तरह की बीमारियों से लड़ने में ताकत देता है.
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