नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से 2024 से लेकर 2029 तक के लिए बनाई गई पशुधन, कुक्कुट और मत्स्य आहार प्रोत्साहन नीति के तहत पशुपालकों,पोल्ट्री फामर्स और मछली किसानों को कई फायदा होगा. मसलन, पशुओं के लिए संतुलित आहार को बढ़ावा देना भी इसका मकसद है. इसके लिए सूचना, शिक्षा, संचार (आईईसी) गतिविधियों और ट्रेनिंग के जरिये से संतुलित पशु आहार को तैयार करने और उसके इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा. वहीं भारत पशुधन एप्लिकेशन में अपने मवेशियों के कृत्रिम गर्भाधान (एआई) आधारित ब्यात को रजिस्टर करने वाले किसानों को प्राथमिकता देते हुए उन्हें रियायती दरों पर खनिज मिश्रण वितरित करके खनिज मिश्रण के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा.
सरकारी प्रेस रिलीज के मुताबिक डेयरी विकास विभाग के माध्यम से पहचान किये गये क्रियाशील डेयरी सहकारी समिति के सदस्यों को प्राथमिकता देते हुए रियायती दरों पर सांद्र खली, मिश्रित फीड आदि आहारों के लिए वित्तीय मदद दी जाएगी. बताते चलें कि पशुधन, कुक्कुट एवं मत्स्य आहार प्रोत्साहन कार्यक्रम वर्ष 2024-2029 के बीच चलेगा. इसके मूल्यांकन के बाद जरूरत पड़ने में इसमें बदलाव किया जाएगा.
निजी भागीदारी और उद्यमिता में होगा इजाफा
इस नीति से व्यक्तियों, स्वयं सहायता समूह (SHG), ज्वाइन्ट लायबिलटी ग्रुप्स (JLG), फार्मर 5-प्रोड्यूसर आर्गेनाईजेशन्स (FPO), डेयरी सहकारी समितियों और कंपनियों को आहार खनिज मिश्रण और अन्य उत्पादों के उत्पादन के लिए उपकरण, परिचालन पूंजी आदि जैसे इनपुट पर पूंजी सब्सिडी या ब्याज अनुदान दिया जाएगा. इंटरनेशनल डेवलपमेंट उजेंसियां (IDA), यूनिवर्सिटीज, रिसर्च संस्थानों, उद्योगों, गैर-सरकारी संगठनों और स्टार्टअप्स की मदद से चली रही रिसर्च गतिविधियों को रिसर्च के लिए के लिए अनुदान के माध्यम से बढ़ावा दिया जाएगा. जिसमें प्रमुख रूप से वैकल्पिक आहार निर्माण, सन्तुलित पोषण, किफायती आहार आदि पर ध्यान दिया जाएगा. जिला स्तर पर मिश्रित आहार और खनिज मिश्रण उत्पादन, उत्पादन क्षमता और कुल वार्षिक उत्पादन के आकड़े दर्ज करने की व्यवस्था का विकास होगा. कार्यक्रम के काम की निगरानी और मूल्यांकन तथा सुधार के लिए काम होगा.
पशुधन, कुक्कुट और मत्स्य आहार प्रोत्साहन कार्यक्रम के फायदे
- पशुओं का बेहतर पोषण मिलेगा.
- पशुधन, कुक्कुट और मछली के उत्पादों में वृद्धि होगी.
- किसानों की रोज की आमदनी में इजाफा होगा.
- पशुओं की प्रजनन क्षमता में सुधार होगा. ब्यात के बीच की अवधि में कमी और पशु की उत्पादकता अवधि में वृद्धि होगी.
- पशुओं के स्वास्थ्य में इस नीति की वजह से सुधार होगा.
- पशुधन, कुक्कुट और मछली विकास दर में इजाफा होगा.
- राज्य में खनिज मिश्रण और राशन उत्पादन में सुधार होगा.
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