नई दिल्ली. आईसीएआई के महानिदेशक डॉक्टर हिमांशु पाठक सचिव डी एआरई ने केंद्रीय अंतर्देशी मत्स्य अनुसंधान संस्थान बैरकपुर का निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने नामामि गंगा योजना के तहत सोराफुली घाट पर तीसरी चरण के पशु पालन कार्यक्रम का उद्घाटन भी किया और भारतीय मेजर कार्प्स की फिंगरलिंग को गंगा नदी में छोड़ा. फिंगरलिंग छोड़ने का मकसद जिसमें गंगा को पुनर्जीवित करना है. इससे पहले दूसरे चरण में भी फिंगरलिंग छोड़े गए थे. वहीं खोजपूर्ण नदी अनुसंधान कार्यक्रम के लिए एनएमसी चरण 2 के तहत खरीदी गई नाव मत्स्यसिकी मंथन का उद्घाटन भी किया.
मेहनत करने की है जरूरत
नदी अनुसंधान के के विभिन्न मुद्दों के समाधान के लिए नाव को एक तरह की तैरती प्रयोगशाला के रूप में विकसित किया गया है. हिमांशु पाठक ने आईसीएआर सीआईएफआरआई में प्लेटिनम विंग ब्लॉक एक भी उद्घाटन किया. इस दौरान कर्मचारियों के साथ बातचीत और युवा वैज्ञानिक को से अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि ज्ञान को बढ़ाने और विज्ञान में उत्कृष्ट हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करने की जरूरत होती है. उन्होंने युवा वैज्ञानिकों से आह्वान किया की कड़ी मेहनत करके अच्छे रिजल्ट हासिल करें, ताकि इसका फायदा सभी को इसका फायदा मिल सके.
मछली जीव की बहाली के लिए है महत्वपूर्ण
पशु पालन कार्यक्रम के दौरान उपनिदेशक मत्स्यायन डॉक्टर केके जेना भी उपस्थित थे. इससे पहले सीआईएफआरआई के निदेशक डॉक्टर बीके दास ने अपने उद्घाटन भाषण में सभी का स्वागत किया और कहा कि नदी पशुपालन कार्यक्रम खुले जल संसाधनों में स्टॉक वृद्धि का एक मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं. ये घटते मछली जीव की बहाली संरक्षण और उत्थान के लिए महत्वपूर्ण है. एनएमसी के दूसरे चरण में लगभग 63.5 लाख उन्नत अंगुलिकाओं को गंगा नदी में छोड़ा गया था.
Leave a comment