नई दिल्ली. भारत में मुर्गियों की कई स्वदेशी नस्लें उपलब्ध हैं. अधिकांश देशी नस्लें कम उपजाऊ लेयर हैं लेकिन वे मांस की गुणवत्ता के लिए लोकप्रिय हैं. ये देशी नस्लें अपने अंडे सेनन और चूजों की देखभाल के लिए जानी जाती हैं. ये मुर्गियां विभिन्न कृषि-जलवायु परिस्थितियों में प्रचलित विविध, कठोर और प्रतिकूल व निम्न पोषण, प्रबंधन और स्वास्थ्य देखभाल में सदियों से जीवित हैं. इन नस्लों की प्रमुख योग्यता इनका घर-आंगन में पालन और भारतीय लोगों द्वारा मांस के स्वाद की वरीयता की वजह से है. लेकिन ये नस्लें कम उपजाऊ लेयर हैं.
इसलिए उन्हें कुछ दूसरी नस्लों के साथ सकंर प्रजनन किया जाना चाहिए. जो बेहतर अंडा उत्पादक हो और घर-आंगन में प्रचलित परिस्थितियों में पाली जा सकें. एक और बेहतर तरीका यह हो सकता है कि डिजायरेबल क्वालिटी के चयन के द्वारा सामूहिक चयन करके संबंधित नस्ल के पक्षियों की संख्या में वृद्धि की जा सकती है. इससे खूब फायदा भी उठाया जा सकता है. इसी में से एक नस्ल है, जिसे अंकलेश्वर कहा जाता है. आइए मुर्गियों की इस नस्ल के बारे में जानते हैं.
अंकलेश्वर नस्ल की मुर्गी के बारे में जानें
अंकलेश्वर कुक्कुट गुजरात में दो जिलों (भरूच और नर्मदा) में पाये जाते हैं और इस नस्ल का नाम अंकलेश्वर (भरूच जिले) जगह से उत्पन्न हुआ. जहां पर ये कुक्कुट मुख्यतः पाए जाते हैं. गोवर्णी और गम्थी इस नस्ल के दूसरा नाम है. इस नस्ल में अंडे और मांस उत्पादन दोनों के लिए अच्छी संभावना है. इस नस्ल में पंखों का रंग सफेद और हल्का भूरा और सुनहरे भूरे रंग का संयोजन सबसे सामान्य पक्षति विन्यास है. आमतौर पर मुर्गे के पंखों का रंग सुनहरी पीला व मुर्गी के पंख काले सुनहरे रंग के होते हैं. एकल कंघी (रोज़ प्रकार) होती है और त्वचा का रंग पीला या गुलाबी होता है. 12 सप्ताह की आयु में मुर्गे का औसत वज़न 830 ग्राम और मुर्गियों का 750 ग्राम होता है. मुर्गियां करीब 180 दिन की आयु में परिपक्व होती हैं और एक वर्ष में 75-80 अंडें देती हैं.
मुर्गी पालन है बेहद फायदेमंद
मुर्गी पालन व्यवसाय में आप ब्रायलर नस्ल की मुर्गी को पाल सकते हैं. पोल्ट्री एक्सपर्ट कहते हैं कि इससे आपको ज्यादा आय मिलेगी क्योंकि यह मुर्गी 8 सप्ताह में ही अंडे देने के लिए तैयार हो जाती है. इसमें मीट की मात्रा भी ज्यादा होती है. मीट से भी आप अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं. इसलिए कहा जाता है कि मुर्गी पालन करके आप कम समय में ज्यादा रिटर्न भी कमाया जा सकता है. जबकि इसमें होने वाले खर्चे ज्यादा नहीं होते हैं. ज्यादातर लोग इसे अफॉर्ड कर सकते हैं और यही वजह है कि ग्रामीण इलाकों में इसका पालन किया जाता है. यदि आप 1500 मुर्गी का पालन करने की योजना बना रहे हैं, तो इसके लिए आपको 50000 से लेकर 1 लाख रुपये तक का मुनाफा मिल सकता है.
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