Home पशुपालन Animal Disease: इस देशी दवा से 5-7 दिनों में ठीक हो जाएगा थनैला रोग, पढ़ें एक्सपर्ट का बताया फार्मूला
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Animal Disease: इस देशी दवा से 5-7 दिनों में ठीक हो जाएगा थनैला रोग, पढ़ें एक्सपर्ट का बताया फार्मूला

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. पशुओं में अक्सर कई बीमारियों की वजह से उत्पादन में कमी हो जाती है. एक्सपर्ट का कहना है कि आज के आधुनिक युग में दूध उत्पादन बढ़ाने की रेस में विदेशी नस्लों के आगमन के साथ एवं भारी मात्रा में एंटीबैक्टीरियल, रासायनिक दवाओं के प्रयोग से इंसानों में दवा निरोधक क्षमता में इजाफा हो रहा है. थनैला रोग भारत में 100 गुना से भी ज्यादा बढ़ गया है. जिसके इलाज में भारी मात्रा में एंटीबैक्टीरियल दवाओं का इस्तेमाल हो रहा है. जिस वजह से इंसानों व पशु स्वास्थ्य को भारी नुकसान हो रहा है. इन महंगी एंटीबैक्टीरियल दवाओं की खरीद के कारण किसानों के लिये पशु एक फायदे की बजाय नुकसान का सौदा बनता जा रहा है.

डॉ. चिरन्तन कादयान का कहना है कि थनैला रोग पीड़ित पशुओं के कारण बेसहारा गौवंश में सबसे ज्यादा इजाफा हो रहा है. आज इस प्रॉस्पेक्टिव में भारतीय चिकित्सा मेथड का इस्तेमाल रिलिवेंट बनता जा रहा है. जरूरत है कि कम कीमत में जड़ी बूटियों के इस्तेमाल से पुरानी सांस, थनैला, मुंहखुर रोग, स्किन और प्रजनन सम्बन्धी बीमारियों का इलाज किया जाए. भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम में पुरानी इलाज के तरीकों को इकट्ठा करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. वहीं भारतीय पशु चिकित्सा में पुराने समय से विभिन्न जड़ी बूटियों का प्रयोग किया जाता रहा है.

दवा बनाने की विधि एवं आवश्यक सामग्री
उन्होंने बताया कि यह संकलन पशु चिकित्सकों एवं पशुपालकों को भारतीय चिकित्सा मेथड से कम लागत में इलाज और एंटीबैक्टीरियल के प्रयोग से बचाने एवं पशु चिकित्सा दवाओं के प्रभावी आप्शन के रूप में पेश किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि अगर थनैला बीमारी से पशुओं को बचाना है तो 250 ग्राम देसी ग्वारपाठा के किनारे से कॉटों को हटाकर छोटे 2 टुकड़ों में काटकर 50 ग्राम पिसी हल्दी एवं 10 ग्राम चूना को मिक्सर / ग्राईडर में पीस कर पेस्ट बना लें. इस पेस्ट के 8 बराबर हिस्से बनाकर दिन में 8 बार थनों पर लगाएं.

लगाने की विधि क्या है
पहले थन को धोएं. उसके बाद थन से दूध निकालें. पेस्ट के एक हिस्से में 100 मिली लीटर पानी मिलाकर प्रभावित थन पर लेप करें. हर एक घंटे के बाद थन धोकर खाली कर उक्त लेप दोहराएं. यह आवेदन 5-7 दिन तक जारी रखें. रात में प्रभावित थन पर 250 ग्राम तिल का तेल, 10 ग्राम हल्दी एवं 10 पोथी लहसुन का मिश्रण लगाएं. यह तीनों पदार्थ मिलाकर गर्म करने के बाद ठंडा कर मिश्रण प्रयोग किया जाए. यह लगाने से पहले, थन धोकर पूरी तरह से सुखा लेना चाहिए.

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