नई दिल्ली. बर्ड फ्लू प्रमुख रूप से मुर्गियों का बड़ा ही संक्रामक रोग है. संक्रमित पक्षी के संपर्क में आने से यह संक्रमण मनुष्यों तक में फैल सकता है. यह अत्यन्त संक्रामक वायरस जनित रोग है, जिसके कारण मुर्गी पालन व्यवसाय को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. बर्ड फ्लू जिसे एविनयन फ्लू भी कहा जाता है. कई बार यह वायरस हवा में मौजूद है तो भी इंसानों तक पहुंच सकता है. आंख नाक या मुंह के जरिए भी वायरस इंसानों को शरीर में पहुंच सकता है. जबकि किसी संक्रमित जगह छूने पर भी वर्षा खतरा रहता है. सामान्यतः बर्ड फ्लू का वायरस 70°C तापमान पर नष्ट हो जाता है.
अगर इसके सिम्टम्स की बात की जाए तो इंसानों में बर्ड फ्लू के लक्षण साधारण फ्लू से मिलते जुलते हैं. जैसे कि सांस लेने में तकलीफ, तेज बुखार, जुखाम और नाक बहना. ऐसी शिकायत होने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर तुरंत चिकित्सकीय सलाह लेना चाहिए. सामान्य तौर पर बर्ड फ्लू का वायरस 70 डिग्री सेल्सियस तापमान पर खत्म हो जाता है. किसी स्थान पर बर्ड फ्लू की पुष्टि होने पर भी अंडे व चिकन 70 डिग्री तापमान पर पकाकर खाने में कोई नुकसान नहीं है. सावधानी की बात की जाए तो बीमार मुर्गियों के सीधे संपर्क में नहीं आना चाहिए
ये सावधानी बरतना है जरूरी: सावधानी की बात की जाए तो दस्ताने या किसी भी अन्य सुरक्षा साधन का इस्तेमाल करना चाहिए. बीमार पक्षियों को पंख, श्लेष्मा, न्यूकस और बीट को न छुएं. छुए जाने की स्थिति में साबुन से तुरंत अच्छी तरीके से हाथ धोना चाहिए. मुर्गियों को बाड़े में रखें. संक्रमित पक्षियों को मार कर उनका सुरक्षित निपटा कर देना चाहिए. बीमार या मरे हुए पक्षी की सूचना निकटतम पशु चिकित्सालय को तुरंत दें. ऐसा करना स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है.
पोल्ट्री फार्म को रखें सेफ: अपने पक्षियों को बाड़े में रखिए. केवल आपकी पोल्ट्री फार्म की देखभाल करने वालों को ही पक्षियों के पास जाना चाहिए. अनावश्यक लोगों को बाड़े में प्रवेश न करने दें. अपने मुर्गे-मुर्गी को दूसरे पक्षियों/पशुओं के संपर्क में न आने दें. दो प्रजातियों के पक्षियों को एक ही बाड़े में न रखें.
ये बीमारियां हो सकती हैं: पक्षियों को रानीखेत गम्बोरो और बर्ड फ्लू, जैसी कई बीमारियां हो सकती हैं. ये बीमारियां एक पक्षी से दुसरी पक्षी में व दूषित पानी से अथवा प्रभावित पक्षी के मल-मूत्र, पंखों आदि के जरिये पूरे झुंड को तेजी से प्रभावित कर सकती है. मुर्गी पालन से जुड़े होने के नाते आप अच्छी तरह जानते हैं कि अपने पक्षियों को इन बीमारियों से बचाना कितना महत्वपूर्ण है.
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