Home पशुपालन Animal Husbandry: गाय-भैंस से अच्छा प्रोडक्शन लेने के लिए शेड में जरूर करें ये चार काम, यहां पढ़ें डिटेल
पशुपालन

Animal Husbandry: गाय-भैंस से अच्छा प्रोडक्शन लेने के लिए शेड में जरूर करें ये चार काम, यहां पढ़ें डिटेल

livestock animal news
प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली.पशुपालन के जानकार बताते हैं कि पशुओं की उत्पादन क्षमता तीन बातों पर निर्भर करती है. एक तो आनुवांशिक बनावट पर, दूसरा पोषण और तीसरा स्वच्छ वातावरण पर. अगर क्लीन इनवायरमेंट नहीं होगा तो जानवरों की उत्पादन क्षमता पर इसका असर पड़ेगा. बेहतर और फायदमेंद इनवायरमेंट का मकसद जानवरों का समुचित विकास कर उनका प्रोडक्शन बढ़ाना और उनकी सेहत पर ध्यान देना है. ताकि वो ज्यादा दिनों तक जिंदा रह सकें और अच्छा प्रोडक्शन दें. आमतौर पर जानवरों को बड़ी संख्या में एक ही स्थान पर रखा जा रहा है. ऐसे में उनसे अच्छा प्रोडक्शन लेने के लिए वहां के इंवायरमेंट पर ध्यान दिया जाना चाहिए.

एक्सपर्ट के मुताबिक विदेशी मूल के जानवरों से पैदा की गई उच्च दूध उत्पादन क्षमता वाली वर्ण संकर गायों की संख्या में इजाफे से नया चलेंज पशु पालकों के सामने आ गया है. जिससे साफ वातावरण का महत्व और बढ़ जाता है. जानवरों की हेल्थ संबंधी किसी भी योजना का लक्ष्य उनकी क्षमता को हवा, पानी, और अच्छी नालियों युक्त आवास उपलब्ध कराकर बढ़ाना है. जानवरों की खरीद कर हर्ड तक सीमित रखना नये जानवरों को कुछ दिनों तक मुख्य हर्ड से अलग रखना, स्वास्थ्य, पोषण और प्रबन्ध की व्यवस्था की जानी चाहिए. वहीं बीमारियों से बचाव के लिये टीकाकरण आदि अपनाने से पशुओं को स्वस्थ रखा जा सकता है.

1.गोबर और मूत्र, विछावन जैसे पुआल आदि के साथ मिलकर फार्म से ठोस अवस्था में गोबर निस्तारण किया जाता है. इस मिश्रण को लम्बे समय तक जमीन पर रखा जा सकता है और खेती के लिये यह सबसे अच्छी खाद मानी जाती है. इसे आसानी से ले जाया जा सकता है. वहीं कम्पोस्ट खाद बनने के बाद बीमारियों के फैलने का का खतरा भी दूर हो जाता है. जानवरों का गोबर जैव तत्वों से बना होता है. जब यह अवायवीय अवस्था में सड़ता है तो इससे मेथेन, कार्बनडाइ आक्साइड, अमोनिया, हाइड्रोजन सल्फाइड गैसें पैदा होतीं हैं जो स्वास्थ्य के लिये नुकसादेह है. यह समस्या जहां अधिक जानवर एक ही स्थान पर रखे जाते हैं वहाँ देखने को मिलती है. भारत में गोबर प्रतिदिन खाद या उपलों के लिये उपयोग किया जाता है, इसलिये यहां ये समस्या नहीं है.

  1. स्लरी की निकासी करने से पहले उसको जमीन के अन्दर या जमीन के ऊपर बने हुये टैंकों में जमा किया जाता है. वहीं सामान्य तापमान पर रखने से इंसानों तथा जानवरों में बीमारी फैलने का डर रहता है. स्लरी को खेती में उपयोग करते समय बदबू वाली गैसें व अमोनिया का उत्सर्जन होने से जमीन और पानी दूषित हो जाते हैं. आक्सीजन के द्वारा स्लरी से इसका समाधान किया जा सकता है.
  2. पशु शव का निस्तारण बीमार जानवरों के शव का उचित तरह से निस्तारण करना चाहिये अन्यथा इससे बीमारी फैलने का डर रहता है. एथेंक्स जैसी बीमारियां मनुष्यों में भी फैल जाती हैं. सभी पशु शवों को या तो जला देना चाहिये या जमीन में गाड़ देना चाहिये.
  3. अच्छे वेंटिलेशन की व्यवस्था कम वेंटिलेशन वाले मकानों में हवा रुकी रहती है. ये हवाएं धीरे-धीरे गर्म व नम हो जाती हैं. ऐसे में अमोनिया, धूल, अन्य गैसें और पशु के साथ रहने वले जर्म होते हैं. ज्यादा मात्रा में एकत्रित हो जाते हैं. इस प्रकार सांस की बीमारियों की सम्भावना अधिक बढ़ जाती है. इसलिये अच्छे वेंटिलेशन का उद्देश्य मकान से बासी हवा को निकालकर उसके स्थान पर ताजी हवा का संचार करता है. इससे विषैली गैसों का खतरा टल जाता है.
Written by
Livestock Animal News

लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज (livestockanimalnews.com) एक डिजिटल न्यूज प्लेटफार्म है. नवंबर 2023 से ये लगातार काम कर रहा है. इस प्लेटफार्म पर एनिमल हसबेंडरी () यानि मुर्गी पालन, डेयरी (), गाय-भैंस, भेड़-बकरी, घोड़ा, गधा, मछली और पशुपालन, चारा, पशु चिकित्सा शि‍क्षा से जुड़ी खबरें पढ़ने को मिलती हैं. ऐग और चिकन के रोजाना बाजार भाव भी इस प्लेटफार्म पर प्रकाशि‍त किए जाते हैं. नेशनल मीडिया जैसे न्यूज18 हिंदी, हिन्दुस्तान, अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर में काम कर चुके पत्रकार (रिर्पोटर) की टीम लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज के लिए खबरें और स्टोरी लिखती है. केन्द्र सरकार के Poultry, Cow, Buffalo, Goat, Sheep, Camel, Horse (Equine), Fisheries, Donkey, Feed-Fodder and Dairy रिसर्च इंस्टीट्यूट के साइंटिस्ट से बात कर उनकी रिसर्च पर आधारित न्यूज-स्टोरी लिखी जाती हैं. इसके साथ ही लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज प्लेटफार्म पर एनिमल साइंस और वेटरनरी कॉलेज-यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और एक्सपर्ट से बात करके खबरें लिखी जाती हैं और उनके लिखे आर्टिकल भी पब्लिूश किए जाते हैं. ये सभी स्टोरी और स्टोरी से जुड़े वीडियो सोशल मीडिया फेसबुक, यूट्यूब (YouTube), इंस्टाग्राम, एक्स (ट्विटर) और लिंक्डइन पर शेयर किए जाते हैं. पशुपालकों की सक्सेट स्टोरी लिखी जाती हैं. उसी सक्सेस स्टोरी के वीडियो बनाकर उन्हें लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज के यूट्यूब चैनल पर पब्लिैश किया जाता है. अंग्रेजी में भी न्यूज और आर्टिकल पब्लिाश किए जाते हैं. लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज पशुपालन, मछली पालन, मुर्गी पालन और डेयरी से जुड़े विषयों पर होने वाली सेमिनार, वर्कशॉप और एक्सपो को भी कवर करता है. साथ ही एनिमल हसबेंडरी मंत्रालय से जुड़ी खबरें भी कवर करता है. बाजार में आने वाले नए प्रोडक्ट की जानकारी भी इस प्लेटफार्म पर दी जाती है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

गोवंश के लिए योगी सरकार ने समाज को भी इस अभियान का हिस्सा बनाते हुए कई प्रोत्साहन योजनाएं चला रखी हैं.
पशुपालन

Dairy: दुधारू पशुओं की सेहत से लार का क्या जुड़ाव है, जानें यहां

आपको बता दें कि कई बार एलर्जी और जहरीला पदार्थ खाने से...

अच्छी फसल और अच्छी नस्ल दोनों पशुपालन में मायने रखती हैं. ठीक उसी प्रकार बकरी पालन में भी ये नियम मायने रखता है.
पशुपालन

Goat: मीट और दूध उत्पादन के लिए पालें किस नस्ल की बकरी, जानें यहां

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) की मानें तो बकरी पालन में...

livestock animal news
पशुपालन

Goat: गाय-भैंस के मुकबाले क्यों बकरी पालन है ज्यादा फायदेमंद, पढ़ें यहां

ग्रामीण जनसंख्या का बहुत बड़ा भाग जो गरीब है, बकरी के दूध...