नई दिल्ली.पशुपालन के जानकार बताते हैं कि पशुओं की उत्पादन क्षमता तीन बातों पर निर्भर करती है. एक तो आनुवांशिक बनावट पर, दूसरा पोषण और तीसरा स्वच्छ वातावरण पर. अगर क्लीन इनवायरमेंट नहीं होगा तो जानवरों की उत्पादन क्षमता पर इसका असर पड़ेगा. बेहतर और फायदमेंद इनवायरमेंट का मकसद जानवरों का समुचित विकास कर उनका प्रोडक्शन बढ़ाना और उनकी सेहत पर ध्यान देना है. ताकि वो ज्यादा दिनों तक जिंदा रह सकें और अच्छा प्रोडक्शन दें. आमतौर पर जानवरों को बड़ी संख्या में एक ही स्थान पर रखा जा रहा है. ऐसे में उनसे अच्छा प्रोडक्शन लेने के लिए वहां के इंवायरमेंट पर ध्यान दिया जाना चाहिए.
एक्सपर्ट के मुताबिक विदेशी मूल के जानवरों से पैदा की गई उच्च दूध उत्पादन क्षमता वाली वर्ण संकर गायों की संख्या में इजाफे से नया चलेंज पशु पालकों के सामने आ गया है. जिससे साफ वातावरण का महत्व और बढ़ जाता है. जानवरों की हेल्थ संबंधी किसी भी योजना का लक्ष्य उनकी क्षमता को हवा, पानी, और अच्छी नालियों युक्त आवास उपलब्ध कराकर बढ़ाना है. जानवरों की खरीद कर हर्ड तक सीमित रखना नये जानवरों को कुछ दिनों तक मुख्य हर्ड से अलग रखना, स्वास्थ्य, पोषण और प्रबन्ध की व्यवस्था की जानी चाहिए. वहीं बीमारियों से बचाव के लिये टीकाकरण आदि अपनाने से पशुओं को स्वस्थ रखा जा सकता है.
1.गोबर और मूत्र, विछावन जैसे पुआल आदि के साथ मिलकर फार्म से ठोस अवस्था में गोबर निस्तारण किया जाता है. इस मिश्रण को लम्बे समय तक जमीन पर रखा जा सकता है और खेती के लिये यह सबसे अच्छी खाद मानी जाती है. इसे आसानी से ले जाया जा सकता है. वहीं कम्पोस्ट खाद बनने के बाद बीमारियों के फैलने का का खतरा भी दूर हो जाता है. जानवरों का गोबर जैव तत्वों से बना होता है. जब यह अवायवीय अवस्था में सड़ता है तो इससे मेथेन, कार्बनडाइ आक्साइड, अमोनिया, हाइड्रोजन सल्फाइड गैसें पैदा होतीं हैं जो स्वास्थ्य के लिये नुकसादेह है. यह समस्या जहां अधिक जानवर एक ही स्थान पर रखे जाते हैं वहाँ देखने को मिलती है. भारत में गोबर प्रतिदिन खाद या उपलों के लिये उपयोग किया जाता है, इसलिये यहां ये समस्या नहीं है.
- स्लरी की निकासी करने से पहले उसको जमीन के अन्दर या जमीन के ऊपर बने हुये टैंकों में जमा किया जाता है. वहीं सामान्य तापमान पर रखने से इंसानों तथा जानवरों में बीमारी फैलने का डर रहता है. स्लरी को खेती में उपयोग करते समय बदबू वाली गैसें व अमोनिया का उत्सर्जन होने से जमीन और पानी दूषित हो जाते हैं. आक्सीजन के द्वारा स्लरी से इसका समाधान किया जा सकता है.
- पशु शव का निस्तारण बीमार जानवरों के शव का उचित तरह से निस्तारण करना चाहिये अन्यथा इससे बीमारी फैलने का डर रहता है. एथेंक्स जैसी बीमारियां मनुष्यों में भी फैल जाती हैं. सभी पशु शवों को या तो जला देना चाहिये या जमीन में गाड़ देना चाहिये.
- अच्छे वेंटिलेशन की व्यवस्था कम वेंटिलेशन वाले मकानों में हवा रुकी रहती है. ये हवाएं धीरे-धीरे गर्म व नम हो जाती हैं. ऐसे में अमोनिया, धूल, अन्य गैसें और पशु के साथ रहने वले जर्म होते हैं. ज्यादा मात्रा में एकत्रित हो जाते हैं. इस प्रकार सांस की बीमारियों की सम्भावना अधिक बढ़ जाती है. इसलिये अच्छे वेंटिलेशन का उद्देश्य मकान से बासी हवा को निकालकर उसके स्थान पर ताजी हवा का संचार करता है. इससे विषैली गैसों का खतरा टल जाता है.
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