नई दिल्ली. कुर्बानी का त्योहार ईद-उल-अज़हा यानि बकरीद 17 जून को पूरे देश में बड़ी ही अकीदत के साथ मनाया जाएगा. इस दिन लोग सुबह में अपने घरों पर जानवरों की कुर्बानी अल्लाह की राह में पेश करेंगे और फिर बकरीद की नमाज ईदगाह में पढ़ेंगे. बताते चलें कि अभी बकरीद के त्योहार में दो दिन का समय बचा है, लेकिन भीषण गर्मी के बावजूद इसकी तैयारी जोरों पर चल रही है. खासतौर पर जानवरों की खरीदारी बड़े पैमाने पर की जा रही है. लगभग सभी शहरों में बकरों की मंडी सज चुकी है, जहां लाखों का बिजनेस हर दिन हो रहा है.
आमतौर पर भारत में कुर्बानी के तौर पर बकरों को हलाल किया जाता है. ज्यादातर लोग इसकी कुर्बानी देते हैं. इस वजह से बकरों की डिमांड ज्यादा रहती है. वैसे तो दशकों से बकरों की खरीद उसकी खूबसूरती और तंदुरुस्ती देखकर होती रही है लेकिन मौजूदा वक्त में खरीदारों में बहुत से लोग इसके वजन के हिसाब से खरीदने लगे हैं. क्योंकि तंदुरुस्ती और खूबसूरती के हिसाब से खरीदने पर बकरे काफी महंगे पड़ते हैं. अगर इसे वजन के हिसाब से कन्वर्ट किया जाए तो इसकी कीमत औसतन 800 से 1000 रुपये किलो के पार चली जाती है.
ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी
इसमें बकरा बेचने वालों को ज्यादा फायदा होता है, क्योंकि बकरा मालिक मुंह मांगा दाम लगाता है बहुत से लोग छोटी-मोटी तोलमोल पर इसे खरीदे लेते हैं. इसके चलते बकरा मालिकों को हजारों में फायदा होता है, लेकिन यही चीज को समझते हुए बहुत से ग्राहक अब किलो के हिसाब से बकरों को खरीदने लगे हैं, लेकिन बहुत से व्यापारी ग्राहकों की इस चालाकी को भांपते हुए और ज्यादा होशियार हो गए हैं और किलो के हिसाब से बेचने में भी वो ज्यादा फायदा उठा रहे हैं. इसके लिए वो ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी का तरीका अपना रहे हैं और ग्राहकों को इसका पता भी नहीं चल रहा है.
बकरों को दवा खिलाते हैं
हालांकि ये पता करना बेहद ही आसान है लेकिन ज्यादातर ग्राहकों को पता नहीं है. अगर आप भी किलो के हिसाब से बकरा खरीदने का मन बना रहे हैं तो खरीदने से पहले उसकी जांच जरूर करें. दरअसल, हो ये रहा है कि व्यापारी बकरों को ज्यादा पानी पिला देते हैं. इसके चलते वो तंदुरुस्त दिखने लगता है और उसका वजन भी ज्यादा हो जाता है. बार-बार चारा खिलाया जाता है. पानी पिलाने के लिए एक दवा का इस्तेमाल किया जाता है, जिसकी वजह से बकरों का गला सूख जाता है और फिर वो बार-बार पानी पीते हैं. पानी भी 2 लीटर वाली बोतलों से पिलाया जाता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि इससे नसों के अंदर भी पानी चला जाता है, जिससे बकरों की मौत भी हो सकती है. जबकि जानवरों का पानी पीने तरीका ये होता है कि वो सिर झुकाकर पानी पीते हैं.
ओवर डाइटिंग से बकरे हो सकते हैं बीमार
वहीं वजन बढ़ाने के लिए बेसन और आटे का घोल भी पिलाया जाता है. आवेरडाइटिंग कराई जाती है, हर वक्त उसे चारा खिलाया जाता है. जिससे तौल में उसका वजन बढ़ जाता है. ग्राहकों को लगता है कि बकरे का वजन ज्यादा है और 450 से 500 रुपये किलो के हिसाब से बकरा खरीदते हैं और वो उन्हें महंगा पड़ता है. इसमें नुकसान ये भी है कि बकरा ओवर डाइटिंग और ज्यादा पानी पीने की वजह से बीमार पड़ सकता है, उसे निमोनिया भी हो सकता है, यहां तक की उसकी मौत भी हो सकती है.
इस तरह बकरों को करें चेक
हालांकि इसे चेक करने का तरीका बड़ा ही आसान है. जब बकरा खरीदने जाएं तोसे देर तक देखते रहें. अगर 15 से 20 मिनट तक वो जुगाली नहीं करता है तो उसने ढेर सारा पानी पिया है. इसको चेक करने के लिए बाईं तरफ उसके पेट को चारो अंगुली से दबाना चाहिए. प्रेशर लगाकर अंदर तक बदाएं. फिर प्रेशर को कम करते हुए बिना चारो अंगुली हटाए, पेट को बाहर की ओर आने दें. अब महसूस करें कि क्या पानी भरे गुब्बारे की तरह पेट धीर-धीरे बाहर आ रहा है तो बकरे के पेट में पानी है. अब अगर अंगुली का प्रेशर कम करते ही पेट कम वक्त के लिए दबा रह गया और रुक-रुककर बाहर आ रहा है तो उसके पेट में चारा है और वो सही है.
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