नई दिल्ली. पशुपालन में पशुओं को कई तरह की समस्याएं होती हैं. पशुपालक ये जानते हैं कि अक्सर पशुओं की जेर न गिरने की समस्या होती है. वहीं बांझपन की समस्या तो बहुत बड़ी है. बांझपन की वजह से पशु गर्भित नहीं हो पाते हैं और फिर दूध का प्रोडक्शन भी नहीं करते हैं. इसकी वजह से ये पशुपालन की एक बड़ी समस्या है. कभी भी कोई भी पशुपालक ये नहीं चाहता है कि उसका पशु बांझपन का शिकार हो. राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की ओर से इन दोनों ही समस्याओं के इलाज के लिए परंपरागत तरीके सुझाये गए हैं. जिसकी घर पर ही दवा तैयार करके इलाज किया जा सकता है.
जेर ना गिरने की दवा बनाने के लिए मूली, भिंडी, गुड़ और नमक का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं बांझपन की समस्या की दवा बनाने के लिए मूली, ग्वारपाठा, हठजोड़, सहजन, करीपत्ता नमक, गुड़ और हल्दी पाउडर की जरूरत होती है. आइए दोनों परंपरागत इलाज के बारे में यहां जानते हैं.
जेर न गिरने पर ये काम करें पशुपालक
एक नग मूली लें, भिंडी 1.5 किलो, गुड़ और नमक जरूरत के मुताबिक. तैयार करने की विधि की बात की जाए तो भिंडी को दो हिस्से में काट लें. ब्याने के 2 घंटे के अंदर पशु को एक पूरी मूली खिला दें. अगर पशु ब्याने के 8 घंटे तक जेर नहीं गिराता है तो 1.5 किलो ताजी भिंडी को नमक एवं गुड़ के साथ पशु को खिला दें. पशु ब्याने के 12 घंटे बाद भी जेर नहीं गिराता है तो, पशु के शरीर के एकदम पास से जेर में गांठ बांध दें और गांठ के 2 इंच नीचे से इसे काटकर छोड़ दें. गांठ पशु के शरीर के अंदर चली जाएगी. हाथों से जेर निकालने का प्रयास कभी नहीं करें. 4 सप्ताह तक, सप्ताह में एक बार पशु को एक मूली खिलाएं.
बांझपन का इस तरह करें इलाज
मद चक्र के पहले या दूसरे दिन उपचार शुरू करें. दिन में एक बार नीचे दिये गये क्रमानुसार गुड़ या नमक के साथ ताजा अवस्था में खिलाएं. पशुओं को रोजाना मूली 5 दिन तक खिलाना चाहिए. वहीं ग्वारपाठा या घृतकुमारी की पत्ती रोजाना 4 दिन तक खिलाना चाहिए. सहजन की 4 मुट्ठी पत्तियां रोजाना दे सकते हैं. चार दिन तक खिलाएं. 4 मुट्ठी हड़जोड़ के तने रोजाना 4 दिनों तक खिलाएं. 4 मुट्ठी करी पत्तियां भी 5 ग्राम हल्दी पाउडर के साथ मिलाकर 4 दिन तक देना चाहिए. अगर पशु गाभिन नहीं होता है, तो यह उपचार एक बार फिर दोहराएं.
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