नई दिल्ली. पशुपालन में एक समस्या बहुत ही आम है, ये पशुओं की प्रेग्नेंसी को लेकर है. दरअसल, पशु को जब प्रेग्नेंट कराने के लिए एआई कराया जाता है या फिर देशी तरीका अपनाया जाता है, तो अक्सर ये होता है कि वो कंसीव नहीं कर पाता है. पशु के गर्भधारण न कर पाने की समस्या आम है. हालांकि इसको देशी नुस्खों और घरेलू उपाय से ठीक किया जा सकता है और इससे पशु गर्भधारण कर लेता है. हालांकि एक्सपर्ट ये भी कहते हैं कि इस इलाज पर ही पूरा तरह से भरोसा ठीक नहीं है. जब कई बार तरीका अपनाने के बाद भी पशु गर्भधारण न करें तो पशु चिकित्सक की सलाह और इलाज अहम हो जाती है.
गौरतलब है कि पशुओं में बांझपन और रिपीट प्रोडक्शन, हीट में आने पर कंसीव नहीं करने की समस्या अब आम हो चल है. इसको लेकर पशुपालक बेहद ही परेशान रहते हैं. केवीके, रामगिरिखिला, पेड्डापल्ली जिला की विषय विशेषज्ञ डॉ. के अर्चना का कहना है कि परंपरागत इलाज से इस समस्या को खत्म किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि ये इलाज कोई नया नहीं बल्कि बहुत ही पुराना है. जब पशु का इलाज इतना ज्यादा डेवलप नहीं हुआ तो इसी तरह से पशुओं का इलाज कर गर्भधारण कराया जाता था.
समस्या को किया जा सकता है खत्म
उन्होंने आगे कहा कि इन प्रथाओं ने अपने असर, पहुंच और संभावित लागत बचत के कारण बहुत ज्यादा लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा. उन्होंने बताया कि आमतौर पर जहां डॉक्टरी इलाज बहुत ही महंगा है, ये बहुत ही सस्ता है और घर पर मौजूद सामान से इसकी दवा बनाई जा सकती है. जबकि जातीय पशु चिकित्सा पद्धतियां पीढ़ियों से चली आ रही हैं और ये स्वदेशी ज्ञान पर आधारित हैं. इनमें पशुधन रोगों की रोकथाम और उपचार के लिए पौधों पर आधारित तैयारियां और अन्य पारंपरिक तरीकों का उपयोग करना शामिल है. इससे डेयरी में होने वाली सबसे आम समस्या का उपचार और रोकथाम हो सकता है.
इस तरह पशुओं को खिलाएं
इसके लिए जरूरी चीजों की बात की जाए तो मूली, एलोवेरा, सिसस, करी पत्ता, नमक, गुड़, हल्दी पाउडर और मोरिंगा के पत्ते का इस्तेमाल किया जाता है. इसके इस्तेमाल के लिए गर्मी के पहले या दूसरे दिन उपचार शुरू करें. गुड़ और नमक के साथ दिन में एक बार 5 दिनों के लिए प्रतिदिन 1 सफेद मूली, 4 दिनों के लिए प्रतिदिन 1 एलोवेरा का पत्ता, 4 दिनों के लिए 4 मुट्ठी मोरिंगा के पत्ते, 4 दिनों के लिए 4 मुट्ठी सिसस का तना, 4 दिनों के लिए 5 ग्राम हल्दी पाउडर के साथ 4 मुट्ठी करी पत्ता और यदि पशु गर्भधारण नहीं करता है तो उपचार को एक बार फिर से दोहराएं.
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