नई दिल्ली. पशुपालन में सबसे ज्यादा नुकसान पशुओं को बीमारियों की वजह से होता है. पशु को जब भी कोई बीमारी होती है तो सबसे पहले उसका उत्पादन कम होता है. वहीं जब मामला गंभीर हो जाता है तो पशु कमजोर हो जाते हैं. कई बार तो उनकी मौत भी हो जाती है. अगर बीमारियों के बारे में पहले से पशुपालकों को जानकारी न हो और वह बीमारी की गंभीरता को न समझ पाएं तो इससे पशुओं में मृत्यु दर भी दिखाई देती है. जिसके चलते डेयरी फार्मिंग का काम डूब भी सकता है. यानी पशुपालकों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है. मार्च का महीना चल रहा है, इसमें भी पशुओं को कई बीमारियों का खतरा है. सरकार की ओर से इसको लेकर आगाह किया गया है.
मार्च के महीने में देश के कई राज्यों के शहरों में कुछ बीमारियों का खतरा है. उसी में से एक बीमारी ट्रिपैनोसोमियासिस भी है जो पशुओं के लिए खतरनाक बीमारी है और इसका असर पशुओं के उत्पादन पर भी पड़ता है. इसलिए बेहतर है कि इसकी रोकथाम के तरीके के बारे में भी पशुपालक भाई जान लें. आइए जानते हैं कि कहां पर इस बीमारी खतरा ज्यादा है और कैसे इसकी रोकथाम की जा सकती है.
यूपी में खतरा ज्यादा है
यह बीमारी गुजरात की देवभूमि द्वारका में पशुओं को हो सकती है. इसलिए इस शहर को हाई रिस्क जोन पर रखा गया है. वहीं बिहार के भोजपुर और खगड़िया में इसका खतरा बताया जा रहा है. सबसे ज्यादा खतरा उत्तर प्रदेश में है. बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के कई जिले के पशु इससे प्रभावित हो सकते हैं. जिसमें मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, पीलीभीत, बरेली, सहारनपुर, सीतापुर, सोनभद्र, अमरोहा, हथरास और शामली शामिल है. इन जगहों पर इस बीमारी के फैलने का खतरा है. इन जिलों को हाय रिस्क जोन में रखा गया है. राजस्थान की बात की जाए तो जयपुर में इस बीमारी के फैलने का खतरा है.
जानें इस बीमारी के बारे में
अब बात करते हैं इस बीमारी के बारे में. इस बीमारी में पशुओं को तेज बुखार आता है. उनके खून में कमी हो जाती है. उनका वजन तेजी के साथ कम होता है. थकान सुस्ती और आंखों से स्त्राव जारी होने समेत और तंत्रिका संबंधित समस्याएं होती हैं. सबसे ज्यादा दूध उत्पादन पर प्रभाव पड़ता है. वहीं प्रजनन क्षमता भी कम हो जाती है. युवा पशुओं का विकास भी प्रभावित होता है और में मृत्युदर भी दिखाई देती है. एक्सपर्ट कहते हैं कि मक्खियों को नियंत्रित करके बीमारी को रोका जा सकता है. मक्खियों ये बीमारी होती है. वहीं कुछ क्षेत्रों में पशुओं को बीमारी से बचाने के लिए वैक्सीन भी लगाई जाती है. बता दें कि इस बीमारी को नागाना या अफ्रीकी ट्रिपैनोसोमियासिस कहा जाता है.
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