नई दिल्ली. केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने पश्चिम बंगाल के दक्षिण परगना जिले के सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रैकिशवॉटर एक्वाकल्चर (CIBA) के काकद्वीप अनुसंधान केंद्र में सागर परिक्रमा केचरण-बारहके दूसरे दिन का नेतृत्व किया. इस अवसर पर डीओएफ की संयुक्त सचिव नीतू कुमारी प्रसाद, मुख्य कार्यकारी डॉ. एलएन मूर्ति, पश्चिम बंगाल सरकार के अधिकारी और अन्य सम्मानित सार्वजनिक प्राधिकारी भी उपस्थित थे.
इस मसले पर की बातचीत
केंद्रीय मंत्री ने खारे पानी में फ़िनफ़िश और शेलफ़िश के लिए तकनीकी-आर्थिक रूप से व्यवहार्य और टिकाऊ संवर्धन प्रणालियों का दौरा और निरीक्षण कर अधिकारियों से जानकारी हासिल की. इसके अलावा, उन्होंने महत्वपूर्ण जलीय कृषि चालकों के लिए प्रौद्योगिकियों, जैसे कि बीज उत्पादन और विविध प्रजातियों की खेती, स्वदेशी फ़ीड के बारे में चर्चा की और मछली हैचरी के लिए प्रौद्योगिकी और मछली के बेहतर जीवन के लिए भोजन के निर्माण से संबंधित मुद्दों पर विस्तार से बात की. इस दौरान सीआईबीए के तकनीकी अधिकारियों ने बताया कि वे कई प्रकार की मछलियों जैसे हिल्सा, बंगाल ब्रीम आदि पर भी रिसर्च कर रहे हैं और टिकाऊ खारे पानी की जलीय कृषि के विकास के लिए प्रौद्योगिकी सहायता बढ़ाने का अभ्यास कर रहे हैं, जो बहुत आवश्यक भोजन, पोषण सुरक्षा आदि प्रदान करेगा.
योजनाओं के उपयोग को लेकर किया प्रोत्साहित
इस अविश्वसनीय यात्रा में विशेष स्थान रखने वाले पश्चिम बंगाल के सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रैकिशवाटर एक्वाकल्चर (सीआईबीए) के काकद्वीप अनुसंधान केंद्र में सागर परिक्रमा यात्रा चरण-बारहवें के दूसरे दिन के समापन के साथ, इस यात्रा ने लगभग 114 स्थान, कुल 12 चरण केमील के पत्थर तक पहुंच गई है. सागर परिक्रमा चरणों ने मछुआरों की चिंताओं, चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक प्रभावशाली प्रयास किया और उन्हें यात्रा के पहले से बारहवें चरण तक अपनी बेहतरी के लिए पीएमएमएसवाई और केसीसी जैसी विभिन्न योजनाओं का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया.
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