नई दिल्ली. पंजाब के घोड़े देश में अपनी पहचान बना चुके हैं. इन घोड़ों की नस्ल ऐसी है कि पूरे राज्य में इनसे अच्छी इकनॉमी मिलती है. लुधियाना के गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में घोड़ों की ब्रीडिंग और खेलों को बढ़ावा देने के लिए एक मीटिंग हुई. इसमें कुलपति डॉक्टर जतिंदर पॉल सिंह ने सूबे के करीब 40 हॉर्स ब्रीडरों संग बात की और किसान समूहों के गठन पर चर्चा की.
डॉक्टर गिल ने कहा, कि ब्रीडरों और सांइटिस्टों के बीच सहयोग की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि हॉर्स ब्रीडिंग हमारी ग्रामीण कल्चर में है और यह मनोरंजन के साथ-साथ इनकम का एक जरिया है. वैज्ञानिक पद्धतियों से घोड़ों के प्रबंधन से घोड़ों के प्रदर्शन के स्तर में सुधार हो सकता है, जो बदले में पंजाब में ब्रीडिंग गतिविधियों में और अधिक मूल्य जोड़ देगा. उन्होंने कहा कि अगर विश्वविद्यालय और राज्य पशुपालन विभाग के सहयोग से किसान समूह के माध्यम से हॉर्स ब्रीडिंग की जाए तो इससे राज्य की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल सकता है.
पंजाब के किसानों की पाली नस्ल पूरे देश में पहचानी जाती है शिक्षा निदेशक डॉक्टर रविंदर सिंह ग्रेवाल ने कहा कि पंजाब के किसानों द्वारा पाली गई घोड़ों की नस्लें पूरे देश में पहचानी जाती हैं और भावी खरीदार और निवेशक बेहतरीन जानवरों की खरीद के लिए राज्य को प्राथमिकता देते हैं. उन्होंने पंजाब को डेयरी पशुओं की तरह घोड़ों के ब्रीडिंग वाले प्रदेश के रूप में बढ़ावा देने के लिए संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता की वकालत की।
हेल्थ की दी जानकारी पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय के डीन डॉक्टर एसएस रंधावा ने घोड़ों की ब्रीडिंग के पूरक के रूप में उनके हेल्थ मैनेजमेंट के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य देखभाल स्कीम घोड़ों के ब्रीडिंग मैनेजमेंट और प्रजनन के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करती हैं। डॉक्टर अरुण आनंद ने घोड़ों के इलाज के लिए विश्वविद्यालय द्वारा दी गई सुविधाओं की जानकारी दी। डॉक्टर यशपाल सिंह ने घोड़ों के प्रजनन के लिए निर्णय और चयन मानदंडों पर अपने विचार साझा किए। डॉक्टर प्रभजिंदर सिंह और डॉक्टर अरुणबीर सिंह द्वारा घोड़ा प्रजनकों के एक समाज के अवसरों पर एक प्रस्तुति साझा की गई।
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