नई दिल्ली. मुर्गी पालन कम लागत में किये जाने वाला आसान काम है. इसे करके अच्छी खासी इनकम हासिल की जा सकती है. ग्रामीण इलाकों में किसान चाहें तो बैकयार्ड पोल्ट्री फार्मिंग भी कर सकते हैं. घर के पीछे मुर्गी पालने के लिए उन्हें घर की महिलाओं से भी मदद मिल सकती है और इससे उनकी कमाई एक नया जरिया बढ़ सकता है. जबकि कमर्शियल पोल्ट्री फार्मिंग के जरिए हर महीने 20 से 30 हजार रुपये की कमाई की जा सकती है और सालाना 10 से 12 लाख रुपए तक का मुनाफा इसमें मिलता है.
मुर्गी पालन में ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए उनकी देखभाल की जरूरत होती है. खास तौर पर ठंड के मौसम में अतिरिक्त देखभाल करना चाहिए. ठंड के मौसम में मुर्गी फार्म में फर्श का टेंपरेचर मेंटेन करना होता है. जबकि मुर्गियों को उन्हें बीमारियों से बचाना होता है. अगर इन सब काम करने में कामयाबी मिल गई तो मुर्गी पालन एक फायदेमंद सौदा साबित हो सकता है.
इस बीमारी का रहता है खतरा
ठंड के दौरान मुर्गी घरों में 90 डिग्री से 85 डिग्री फारेनहाइट का तापमान रखना पड़ता है. एक्सपर्ट कहते हैं मुर्गियों का दिमाग ब्रेन ठंड से प्रभावित होता है. इससे शरीर का संतुलन भी बिगड़ जाता है. कई बार मुर्गियों की गर्दन लुढ़कने लगती है. सांस की नली प्रभावित होती है और तकलीफ में मुर्गियां मुंह खोलकर सांस लेने लगती हैं. अक्सर ये सारे लक्षण रानीखेत बीमारी में दिखते हैं. इससे मुर्गियों को बेहद दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इस बीमारी से बचाने के लिए मुर्गियों को वैक्सीन लगाई जाती है. आपको बताते चलें कि अक्सर पाचन तंत्र भी प्रभावित होता है. डायरिया की स्थिति भी बनती है. मुर्गियां पतला और हरे रंग का बीट करती हैं. कई बार शरीर के हिस्से में लकवा मार जाता है. ऐसे में वैक्सीनेशन किया जाना चाहिए.
मुर्गी फार्म में जरूर करें ये काम
ठंड के दौरान ज्यादातर मुर्गियों की नस्ल माइनस 18 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को सहन कर सकती हैं, लेकिन इसके लिए जरूरी यह है कि वह स्वस्थ हों. अच्छी तरह से उन्हें खिलाया पिलाया गया हो. ठंड के मौसम के लिए ठीक से अनुकूलित हों और उनके पर भी उन्हें गर्म रखने में मदद करते हैं. वहीं जिस जगह में उन्हें रखा जा रहा है, उसकी सतह जमीन से कम से कम 2 फीट ऊपर होनी चाहिए. अगर ऐसा संभव नहीं हो तो मिट्टी के फर्श में धान के पुवाल बढ़ा देना फायदेमंद होता है. उसी के ऊपर पक्षियों को रखने से उन्हें ठंड का एहसास काम होता है. जबकि फार्म में 100 वाट का बल्ब भी जलाया जाता है.
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