Home मछली पालन Fish: मछलियों का ज्यादा उत्पादन लेने के लिए मिट्टी में होने चाहिए ये गुण, जानें जांच का क्या होता है फायदा
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Fish: मछलियों का ज्यादा उत्पादन लेने के लिए मिट्टी में होने चाहिए ये गुण, जानें जांच का क्या होता है फायदा

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तालाब में मछली निकालते मछली पालक

नई दिल्ली. मछली पालन करने से पहले तालाब का निर्माण किया जाता है. जबकि उससे भी पहले जिस जगह पर तालाब का निर्माण होता है, उस जगह की मिट्टी की गुणवत्ता को चेक करना होता है. अगर मिट्टी की क्वालिटी मछली पालन के लिए उपयुक्त है, तब तो वहां पर मछली पालन किया जा सकता है वरना मछली पालन करने से फायदा नहीं होता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि मछली पालन में मिट्टी की जांच बेहद जरूरी है. क्योंकि मिट्टी गुणवत्ता से तालाब की उत्पादकता और पानी की गुणवत्ता प्रभावित होती है. इसकी जांच से यह पता चल जाता है कि मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्व हैं और उनकी मात्रा कितनी है.

वहीं मिट्टी की जांच से ये भी जानकारी हो जाती है कि प्राइमरी और माइक्रो पोषक तत्व कितने हैं. मिट्टी की जांच से ये जानकारी भी मिलती है कि मिट्टी पानी को कितनी अच्छी तरह से सोखती है. वहीं मिट्टी की जांच से यह भी मालूम होता है कि मिट्टी की अम्लीय और क्षारीय गुण क्या है. वहीं सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि मिट्टी की जांच के आधार पर सही मात्रा में जैविक खाद, बैक्टीरिया खाद और रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल किया जा सकता है.

जांच के लिए कितनी लें मिट्टी
फिश एक्सपर्ट कहते हैं कि मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व का तालाब की उत्पादकता पर व्यापक असर होता है. मिट्टी में मौजूद जीवाणु तल में जमा कार्बनिक पदार्थ को मिलाने में मददगार होते हैं. मछली पालन के लिए चिकनी या दोमट मिट्टी काफी अच्छी होती है. मछली पालन के लिए मिट्टी ऐसी होनी चाहिए कि तालाब में पानी ज्यादा समय तक ठहरे. इससे मछलियों की ग्रोथ सही होती है. आपकी जानकारी के लिए यह भी बता दें कि मिट्टी की जांच करने के लिए हर एक 75 सेंटीमीटर गहराई से कम से कम 250 ग्राम मिट्टी लेना चाहिए. पानी का नमूना एक बोतल में 1 लीटर लेना चाहिए. पानी का नमूना उसी दिन लैबोरेटरी तक ले जाया जाए.

मिट्टी में क्या कितना होना चाहिए
एक्सपर्ट कहते हैं कि मिट्टी की जांच में मिट्टी का रंग काला भूरा होना चाहिए. उसका पीएच 6.8 होना चाहिए. पानी सूखने की क्षमता उसमें 40 फीसदी या इससे अधिक हो सकती है. जबकि मिट्टी के अंदर रेत की मात्रा 20 फीसदी से कम होनी चाहिए. सिल्ट की मात्रा 50 फीसदी, क्ले की मात्रा 30 परसेंट, नाइट्रोजन 10 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम मिट्टी, फास्फोरस 5 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम मिट्टी, पोटेशियम 25 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम होना चाहिए. वहीं मिट्टी के अंदर जैविक कार्बन 1.2 फीीसदी या इससे अधिक हो सकता है.

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