नई दिल्ली. आपने ऑर्गेनिक फल, सब्जी ऑर्गेनिक दूध, घी के बारे में तो जरुर सुना होगा लेकिन क्या आपको पता है कि हर वो चीज ऑर्गेनिक अभियान में शामिल है. जो प्राकृति से हमें सीधे मिलती है. इसी में ऑर्गेनिक चारा भी है जो बकरियों को दिया जा सकता है. इसके पीछे मकसद यह बताया जा रहा है कि ऑर्गेनिक चारा खाने के बाद बकरियां जो दूध दें और उनसे जो मीट मिले वह बिल्कुल ऑर्गेनिक हो. यही वजह है कि केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान मथुरा ने इस क्षेत्र में काम कर रहा है और बकरी पलकों को ट्रेनिंग लेने के लिए बुलाया जाता है. उन्हें ऑर्गेनिक चारी के बारे में ट्रेनिंग दी जाती है.
संस्थान के डायरेक्टर ने बताया कि बकरियों का दूध डेंगू ही नहीं और भी कई बीमारियों में बहुत ज्यादा फायदेमंद है. करीब 40 साल से इस संस्थान में बकरियों पर रिसर्च किया जा रहा है. साथ ही साइंटिफिक तरीके से कैसे बकरी का पालन किया जाए, इसकी भी समय-समय पर बकरी पलकों को ट्रेनिंग दी जाती है.
सीआईआरजी के डायरेक्टर मनीष कुमार चैटली का कहना है कि बकरा और बकरियों को खास तौर पर ऑर्गेनिक चारा खिलाने का फायदा है. उन्होंने बताया कि जब बकरे का मीट एक्सपोर्ट होता है तो उससे पहले हैदराबाद की एक लैब में ले जाया जाता है. यहां लैब में इसके मीट की जांच की जाती है. जांच में देखा जाता है कि मीट में किस तरह के नुकसानदायक पेस्टिसाइट तो नहीं हैं और यह सिर्फ बकरे के नहीं बल्कि बीफ के मामले में भी देखा जाता है. रिपोर्ट पॉजीटिव आने पर ही मीट के कंजाइनमेंट रोक दिया जाता है. इससे कारोबारियों को बड़ा नुकसान पहुंचता है.
साइंटिस्ट डॉक्टर मोहम्मद आरिफ ने कहा कि बकरी खुद से बाग मैदान और जंगल में चर रही है तो उसका दूध 100% ऑर्गेनिक है. क्योंकि बकरी की आदत है कि वह अपने से पेड़ और झाड़ी से खुद चुनकर ही खाती है लेकिन जब हम फॉर्म में घर में पाली हुई बकरियों को चारा दिया जाता है तो उसमें पेस्टीसाइट शामिल हो जाता है. जिसका असर बकरी के दूध पर भी पड़ता है.
ऐसे में संस्थान ट्रेनिंग के दौरान बकरी पलकों को ऑर्गेनिक चारा उगाने के बारे में भी जानकारी देता है. इतना ही नहीं संस्थान के खेतों में भी इस तरह का चारा उगाया जाता है. उन्होंने बताया कि जीवामृत नीमस्त्रह, बीजामृत बनाया जाता है. जीवामृत बनाने के लिए गुड़, बेसन और देसी गाय के गोबर मूत्र में मिट्टी मिलाकर बनाया जाता है. यह चीज मिलाकर मिट्टी में पहले से ही मौजूद फ्रेंडली बैक्टीरिया और बढ़ा देते हैं. इसी का फायदा चारे में मिलता है.
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