नई दिल्ली. बकरियों को दिए जाने वाले पानी की निगरानी करना उनके हैल्थ और प्रोडक्टिविटी के लिए महत्वपूर्ण है. बकरियों के लिए पानी की आवश्यकता 4-6 लीटर प्रति दिन होती है. जबकि शुष्क पदार्थ के खाने और और पानी की खपत का अनुपात 1:4 है. नियमित रूप से पानी के टैंक में जलस्तर की जांच करने से खपत पैटर्न और पानी की क्वालिटी आदि को चेक करते रहना चाहिए. क्योंकि अगर पानी गंदा है तो दिक्कते हो सकती हैं. एनिमल एक्सपर्ट डॉ. इब्ने अली का कहना है कि गंदे पानी, गर्मी में गर्म पानी, ठंड में जरूरत से ज्यादा ठंडे और बेस्वाद पानी के कारण बकरियां सामान्य से कम पानी पीती हैं. इससे उनकी सेहत और प्रोडक्शन पर असर पड़ता है.
उन्होंने बताया कि पानी की खराब क्वालिटी के कारण भूख में कमी, थकान या व्यवहार में बदलाव जैसे लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं. बकरियों का सामान्य स्वास्थ्य और उत्पादन पर स्वच्छ, सुरक्षित पानी तक पहुंच पर निर्भर करता है, जिसकी गारंटी आप सतर्क और सक्रिय रहकर दे सकते हैं.
बकरी पालन में पानी और प्रोडक्शन का क्या है संबंध
डॉ. इब्ने अली के मुताबिक पानी की गुणवत्ता सीधे बच्चों के विकास और प्रजनन और डेयरी बकरियों की उत्पादकता को प्रभावित करती है. क्योंकि यह स्वस्थ पाचन और पोषण सोखने की सुविधा प्रदान करती है. कम पानी स्वास्थ्य समस्याओं, कम फीड खाने और कम प्रोडक्शन का कारण बन सकता है. बकरी पालक चाहें तो अच्छी क्वालिटी का पानी देकर बकरियों को हैल्दी बना सकते हैं. उनकी बेहतर ग्रोथ होने में मदद कर सकते हैं. वहीं झुंड उत्पादकता में सुधार भी इससे किया जा सकता है. गंदे पानी से बचाने और बकरियों के हैल्थ और उत्पादकता की गारंटी के लिए, पानी के सोर्स का नियमित रखरखाव और देखरेख करते रहना चाहिए.
उत्पादन बढ़ाने के लिए करें ये काम
उन्होंने बताया कि बकरियों के स्वास्थ्य और पोषण, स्वस्थ पाचन, पोषण पचाने और सभी चीजों को बढ़ावा देने के लिए पानी की गुणवत्ता महत्वपूर्ण है. खराब पानी की गुणवत्ता से भूख में कमी, पाचन संबंधी समस्याएं और कम उत्पादकता हो सकती है. बकरी पालकों को बकरियों के लिए साफ पानी नियमित रूप से उपलब्ध कराना चाहिए. इसलिए पानी के सोर्स की समय-समय पर सफाई भी करते रहना चाहिए. ये गौर करें कि कहीं पानी सोर्स से गंदा तो नहीं हो रहा है. पानी देने से पहले से पहले भी जांच करना बेहद जरूरी है. पानी देने वाले बर्तनों का साफ रहना भी बेहद ही जरूरी है. इन सब बातों पर ध्यान देकर अधिक उत्पादक बकरियों को बढ़ावा दे सकते हैं और उनकी प्रोडक्टिविटी भी बढ़ा सकते हैं.
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