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Silage: अच्छा साइलेज बनाने का क्या है तरीका, इसमें क्या-क्या बरतनी चाहिए सावधानियां, जानें यहां

यदि धूप अधिक तेज न हो तो हरे चारे को अधिक पतली सतहों में फैलाया जाता है.
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. जब पशुओं के लिए हरे चारे की कमी हो जाती है तो फिर पशुओं को साइलेज दिया जाता है. ताकि पशुओं हरे चारे से मिलने वाले सारे तत्व साइलेज से मिलते रहें. साइलेज पशुओं को तभी दिया जा सकता है, जब इसे बनाने का सही तरीका पशुपालकों को पता होगा. एक्सपर्ट का कहना है कि साइलेज बनाने के लिये जिन गड्‌ढों का इस्तेमाल किया जाता है उन्हें साइलो कहते हैं. आमतौर साहलेज बनकर साइलो, पिट साइलो एवं टावर साइलो में बनाया जाता है. अगर बेहतर साइलेज बनाना है तो उसके लिए कुछ जरूरी चीजों का ध्यान देना जरूरी होता है.

एक्सपर्ट का कहना है कि हरे चारे में नमी का प्रतिशत 65 से 75 होना चाहिए. साइलो गड्‌ढे में हवा नहीं होनी चाहिए. साइलो गड्‌ढे के तापमान को 30 से 38 सेंटीग्रेड करने के लिए उपयुक्त वातावरण को बढ़ावा देना चाहिए. साइलेज बनाने के लिए शीरा 3-5 प्रतिशत, नमक 1-2 प्रतिशत, अनाज के दाने 3-4 प्रतिशत, नीबू और मौसमी का छिलका आदि का इस्तेमाल करते हैं. इसके अलावा सोडियम मेटा बाई सल्फाइट को भी मिलाया जा सकता है.

क्या है साइलेज बनाने की प्रक्रिया
साइलेज बनाने के लिए चारा फसल की महीन कुट्टी काटकर गड्‌ढे में खूब अच्छी तरह से दबा दबा कर भरते हैं. बीच-बीच में नमक डाला जाता है जो प्रोटेक्टर का काम करता है. जब गड्‌ढा खूब अच्छी तरह से भर जाता है तो इसमें ऊपर से हरी घास डालते हैं. आखिरी में मिट्टी से गड्‌ढे को खूब अच्छी तरह से ढक देते हैं. यह काम सितम्बर में कर सकते हैं. गड्‌ढे के अन्दर हवा नहीं होनी चाहिए. इसे चारे का फर्मेंटेशन होता है. धीरे-धीरे चारा नीचे की ओर बैठता है. लगभग 2-3 माह में साइलेज तैयार हो जाती है. तैयार साइलेज से एक विशेष प्रकार की खूशबू आती है. इसे दिसम्बर से मार्च तक पशुओं को खिला सकते हैं. थोड़ी मात्रा में साइलेज बड़े-बड़े पॉलीथिन के मजबूत थैलों में भी बनायी जा सकती है.

साइलेज बनाने में सावधानियां

  1. साइलों में चारा भरने में समय कम से कम लगाना चाहिए. साइलो का कम से कम 1/6 भाग प्रतिदिन भर जाना चाहिए. जिससे कि साइलो अधिक से अधिक 6 दिन में पूरा भर जाए.
  2. साइलो को भरते समय कटे हुए चारे की पूरे क्षेत्रफल में पतली-पतली एक समान परतों में फैलाकर व दबा-दबाकर अच्छी तरह से भरना चाहिए ताकि हवा बाहर निकल जाए.
  3. साइलो के अंदर हवा व पानी नहीं जाना वाहिए. पॉलीथिन की चादर से चारो तरफ से ढककर उसके ऊपर 30 सेमी मोटी गीली मि‌ट्टी की पर्त डालकर दबना चाहिए.
  4. साइलो को ऊंचाई तक भरना चाहिए ताकि बैठाव के बाद भी चारे का तल दीवारों से ऊंचा रहे. ऐसा करना इसलिए जरूरी होता है, क्योंकि फर्मेंटेशन के दौरान चारा कम हो जाता है.

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