नई दिल्ली. सुखाये हुए हरे चारे को ‘हे कहते हैं. हे वैज्ञानिक विधि द्वारा इस प्रकार तैयार की जाती है, जिससे चारे का हरापन बना रहे. वहीं तैयार किये जाने के बाद इसके पोषक तत्त्वों में भी कोई नुकसान न हो और इसे स्टोर किया जा सके. हरे चारे में नमी की मात्रा लगभग 80 प्रतिशत होती है. अगर बात उत्तर भारत की जाए तो यहां हे तैयार करने का समय आमतौर पर मार्च-अप्रैल होता है. मार्च-अप्रैल में आसमान में धूप अच्छी होती है, आसमान साफ होता है और वायुमंडल में ह्यूमिडिटी भी कम होती है. जिससे चारा जल्दी से सूख जाता है और ‘हे’ तैयार हो जाती है.
‘हे’ बनाने के तरीके के बारे में एक्स्पर्ट कहते हैं कि हरे चारे को अच्छी तरह से और समान रूप से सुखाना बहुत जरूरी होता है. भारत में आमतौर धूप और हवा में सुखाकर ही ‘हे’ तैयार की जाती है. आमतौर पर जमीन पर फैलाकर सुखाने की विधि से ही ‘हे’ तैयार की जाती है.
कैसे जमीन पर चारा सुखाएं
इस तरीके में चारे को काटने के बाद जमीन पर 25-30 सेमी. मोटी परतों या छोटे-छोटे ढेरों में फैलाकर धूप में सुखाया जाता है. अगर धूप अधिक तेज न हो तो हरे चारे को ज्यादा पतली परतों में फैलाया जाता है. जब चारे की ऊपरी पत्तियां सूख जाती हैं और थोड़ा कुरकुरापन आ जाता है तो चारे को छोटे-छोटे ढेरों में जमा कर लिया जाता है. मार्च-अप्रैल के महीने में चारे को इतना सूखने में आमतौर पर 3-4 घंटे का समय लगता है. धूप के तेज होने पर और भी कम समय में चारा सूख जाता है. बनाये गये ढेरों की पत्तियां जब सूख जायें लेकिन मुड़ने पर एक दम न टूटने लगे इससे पहले ही ढेरों को पलट देना चाहिए.
सुबह के वक्त चारे को पलटें
चारे के ढेरों को ढीला रखा जाता है. जिससे उसमें हवा आती जाती रहे. चारे को पलटने का काम दूसरे दिन सुबह ही करना चाहिए. क्योंकि सुबह के समय पत्तियों में कुरकुरापन कम होता है और मुलायम पत्तियों-दलहनीय चारों की पत्तियां झड़कर खराब नही होती हैं. दूसरे दिन शाम को इन छोटी-छोटी ढेरियों को 10-15 के ढीले ढेरों में इकट्ट्ठा कर लेना चाहिए. फिर इन सूखे ढेरों को अगले दिन तक पड़े रहने देना चाहिए. जिससे कि स्टोरेज से पहले चारा सूख जाये. तैयार की गई ‘हे’ को बाड़े, छप्पर या अन्य किसी सेफ जगह में स्टोर करना चाहिए.
हे के लिए उपयुक्त फसलें
हे के लिए उपयुक्त फसलों की बात की जाए तो इसमें बरसीम, रिजका, लोबिया, सोयाबीन, जइ, सुडान घास आदि चारा फसलें हाई क्वालिटी की ‘हे’ बनाने के लिए बेहतर फसलें हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि इसके अलावा अक्टूबर में मक्का, बाजरा, दूब घास और ज्वार से भी बढ़िया ‘हे’ तैयार की जा सकती है.
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