नई दिल्ली.पशुपालन की तरह ही मुर्गी पालन में भी मुर्गियों के खाने-दाने और उन्हें केयर की जरूरत होती है. क्योंकि मुर्गियों को भी मौसम की मार, बीमारियों से बचाना पड़ता है. यदि ट्रेनिंग लेकर मुर्गी पालन शुरू किया जाए तो इसमें नुकसान का परसेंटेज बिल्कुल कम हो जाता है. जबकि मुर्गी पालन सदाबहार चलने वाला कारोबार भी है. अंडों की मांग भले ही गर्मी में काम हो जाती है लेकिन मीट की मांग पूरी 12 महीने बनी रहती है. अगर मुर्गियों को अच्छी फीड खिलाया जाए तो उनका वजन और अंडो का उत्पादन ज्यादा बढ़ जाता है.
एक्सपर्ट कहते हैं कि मुर्गियों को उनकी फीड के रूप में 10 से 15 ग्राम अजोला हर दिन खिलायाया जा सकता है. अजोला खिलाने से मुर्गियों की शरीर का तेजी के साथ भार बढ़ता है और अंडा उत्पादन भी बढ़ जाता है. इसका फायदा पोल्ट्री संचालक को मिलता है. जिन मुर्गियों को अजोला खिलाया जाता है उनके अंडा उत्पादन में 10 से 15 फ़ीसदी तक का इजाफा भी देखा गया है. अगर आप भी अजोला की खेती करना चाह रहे हैं तो यहां आर्टिकल में कुछ जरूरी चीजें बताई जा रही हैं, जिन्हें पढ़कर आप अजोला की अच्छी खेती कर सकते हैं.
उत्पादन के लिए मिट्टी का चयन
पशुपालक अपने आसपास अनुपयोगी पड़ी भूमि में अजोला का उत्पादन कर सकते हैं. मृदा का चयन करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि जहां क्यारियां बनानी हैं, वहां इसके लिए मृदा का स्तर ऊंचा होना चाहिए. बारिश या अन्य किसी प्रकार का गन्दा पानी क्यारियों में नहीं आना चाहिए. इसकी क्यारियां जल स्रोत के आसपास होनी चाहिए. इससे इनमें सरलता से पानी दिया जा सकता है.
क्यारियों को कैसा बनाया जाए
इसके लिए 3 फीट चौड़ी 10 फीट क्यारी बनाई जा सकती है. 1 फीट गहरी आकार की कच्ची क्यारियां तैयार करनी चाहिए. उन पर पॉलीथीन शीट को एकसमान इस तरह से फैलाया जाये कि क्यारियों की परिधि के अनुसार यह आयताकार हो और किनारे पूरी तरह से ढक जायें. इन क्यारियों में दस किलो छनी हुई मिट्टी व दो कि.ग्रा. गोबर खाद को मिलाकर प्रति क्यारी बिछा देनी चाहिए. इन क्यारियों में पानी भर देना चाहिए. सीमेंट की टंकी में भी अजोला को उगाया जा सकता है. इस टंकी में प्लास्टिक शीट बिछाने की आवश्यकता नहीं रहती, सिर्फ छाया करने के लिए शेड नेट की जरूरत पड़ती है. आजकल बाजार में 12 लंबाई ×6 चौड़ाई × 1 गहरे फीट की उच्च घनत्व पॉलीथीन अजोला उत्पादन भी उपलब्ध है.
पानी का छिड़काव करना चाहिए
इसके लिए 0.5-1 कि.ग्रा. शुद्ध अजोला कल्चर पानी पर एकसमान फैला देना चाहिए. अजोला बीज फैलाने के तुरंत बाद इसके पौधों को सीधा करने के लिए अजोला पर ताजे पानी का छिड़काव करना चाहिए. एक सप्ताह के अन्दर अजोला पूरी क्यारी में फैल जाता है एवं एक मोटी चादर जैसी बन जाती है. इसकी तेज वृद्धि तथा 200 ग्राम प्रति वर्गमीटर दैनिक पैदावार के लिए 5 दिनों में एक बार लगभग 1 कि.ग्रा. गोबर और 20 ग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट इसमें मिलाया जाना चाहिए. यह बहुत तेजी से बढ़ता है और 10-15 दिनों के अन्तराल में पूरे गड्ढे को ढक लेता है. इसकी औसतन लागत 1500 से 2000 रुपये के बीच होती है. शुरुआती लागत श्रम के रूप में होती है. इसे पारिवारिक श्रम द्वारा पूरा किया जा सकता है.
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