नई दिल्ली. भेड़ पालन करके भेड़ पालक अच्छी खासी कमाई करते हैं. भेड़ पालन करके पशुपालक दो तरह से कमाई करते हैं. एक तो इसका मीट का बेचकर कमाई करते हैं, जबकि ऊन से भी कमाई होती है. दरअसल, भेड़ को इन्हीं दो वजहों से पाला जाता है. जबकि भेड़ कम खर्च में ज्यादा फायदा देने वाला पशु है. भेड़ की ये खासियत होती है कि वो ऐसी चारागाहों पर चरती है जहां अन्य पशु नहीं जा सकते हैं. भेड़ पालन में एक और खास बात ये है कि इसके लिए बहुत विस्तारपूवर्क और कीमती और घरों की आवश्यकता नहीं होती है. उनके रहने के लिए साधारण, सूखे एवं स्वचछ बाड़े पर्याप्त होते हैं. अच्छे मौसम में रेवड़ के खुले स्थान पर भी रखा जाता है.
उन्नत भेड़ पालन के लिए रेवड़ को सर्दी गर्मी एवं वर्षा से बचाने हेतु मौसम के अनुसार आवास व्यवस्था करना अत्यन्त आवश्यक है. अतः शुष्क एवं अर्घ शुष्क प्रदेशों में रेवड का बाड़ा जमीन से ऊंची व खुली जगह पर बनाना चाहिए. ताकि इसमें वर्षा का पानी एकत्र न हो तथा हवा व प्रकाश का उचित प्रबन्ध हो सके.
कितना बड़ा होना चाहिए बाड़ा
आधा खुला बाड़ा व्यवस्था भेड़ों के आवास की एक आदर्श व्यवस्था है. इस व्यवस्था में ढके हुए स्थान के साथ साथ उसके दुगने अनुपात के बराबर खुली जगह साथ होती है. जिसमें पशु स्वेच्छानुसार घूम-घूम कर बाहर व भीतर आराम से रह सकते है. बाडा इतना बडा होना चाहिए कि प्रत्येक पशु को पर्याप्त (8-10 वर्ग फुट) स्थान प्राप्त हो सके. बाड़े का आधा भाग छप्पर या एस्वेस्टस की चइरों से ढका होना चाहिए. जिसको भेड़े सर्दी या वर्षा में उपयोग कर सकें. बाड़े के आस पास चारों तरफ घने छाया दार वृक्ष जैसे अरडू नीम पीपल आदि लगाने चाहिए जो कि गर्मी के दिनों में बाड़े को ठण्डा रखने में मद्द करते है तथा साथ ही समय-समय पर चारे की आवश्यकता को भी पूरा करते हैं.
आम जगह से ऊंचा हो बाड़ा
बाड़े के लिए स्थान का चयन करते समय निन्मलिखित बातों पर ध्यान देना आवश्यक है. बाड़ा बनाने का स्थान आम जगह से ऊंचा हो ताकि पानी के रूकने की सम्भावना न रहे. बाड़े का स्थान खुला, हवादार हो ताकि अन्दर का वातावरण सॉ व सूखा रहे 1 बाड़े में प्रकाश की उचित व्यवस्था होनी चाहिए. बाड़े में पानी, दाना व चारे हेतु नांद/खुरली होनी चाहिए. बाड़े में बच्चे, गाभीन और बीमार पशुओं के लिए अलग-2 व्यवस्था होनी चाहिए 1 बाड़े में निम्नलिखित जरूरी साधन व व्यवस्था होनी चाहिए.
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