नई दिल्ली. पशुपालन में जिस तरह से पशु का ख्याल रखना होता है. ठीक उसी तरह से उनके बच्चों का भी ख्याल रखा जाता है. बछड़ा या बछड़ी को जरूरी देखभाल अगर नहीं मिलती तो उनकी बढ़वार कम हो जाती है. इसे आगे चलकर वह बेहतर उत्पादन देने वाले पशु नहीं बन पाते हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि अलग-अलग तरीके से सभी बछड़े या बछड़ी की देखभाल करनी चाहिए. उन्हें खाना खिलाना चाहिए. उनका वजन करना चाहिए और शरीर के वजन व विकास की प्रतिक्रिया के मुताबिक ही खाना खिलाना चाहिए. ज्यादा या कम खाना खिलाने से बचना चाहिए. वहीं समूह में भी खाना खिलाने से बचना चाहिए.
एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं, अगर बछड़ों को दिन में दो या अधिक बार खाना खिलाते हैं. तो यह उनके लिए बेहतर होता है. बछड़ी के पैदा होने के बाद उनकी मां का दूध उनके लिए सबसे बेहतरीन आहार होता है. पैदा होने की कुछ दिन तक मां के दूध से ही उन्हें पोषित किया जाना चाहिए. क्योंकि मां के दूध में सभी आवश्यक पोषक तत्व होते हैं, जो बछड़े-बछड़ी के लिए महत्वपूर्ण होते हैं. इसके बाद धीरे-धीरे दाना और पानी भी देना चाहिए. इसमें अच्छी क्वालिटी का गेहूं का दाना और साफ पानी दिया जाना चाहिए.
गाय के बच्चे को कब क्या खिलाया चाहिए
अगर पशुपालक चाहते हैं कि उनकी गाय का बच्चा तेजी के साथ बढ़े तो जन्म के आधे घंटे के अंदर बछड़े को कोलोस्ट्रम खीस पिलाना कतई न भूलें. इसे उन्हें जरूरी पोषण मिल जाता है.
एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि गाय के बच्चों को जन्म के दूसरे हफ्ते में दाना देना शुरू करना चाहिए, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि दाना बहुत ही अच्छी क्वालिटी का दिया जाए.
गुड़ में कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम और आयरन जैसी खनिज होते हैं. इसलिए गुड़ खिलाने से भी गाय के बच्चे की ग्रोथ तेजी के साथ होती है.
गाय के बच्चों की बड़वार के लिए लोबिया घास खिलाने से फायदा होता है. क्योंकि इसमें प्रोटीन और फाइबर की मात्रा भरपूर होती है और आगे चलकर जब बछड़ी दुधारू पशु बनेगी तो उसकी दूध की क्षमता भी ज्यादा होगी.
गाय की बछड़ी या बछड़े के लिए मेथी के दाने अजवाइन, सौंफ, हल्दी, पाउडर और हींग से बना चूर्ण देना चाहिए. ये उनके आहार में मिलाकर देने से उनका पाचन तंत्र बेहतर होता है और दूध उत्पादन भी बढ़ता है.
सरसों का तेल और आटे का मिश्रण बनाकर खिलाने से भी फायदा होता है और दूध उत्पादन में भी वृद्धि हो जाती है.
पशुओं के लिए हरा चारा हमेशा ही मुफीद होता है. दूध उत्पादन में इससे वृद्धि होती है. इसके साथ खनिज और कैल्शियम की आपूर्ति हो जाती है.
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