नई दिल्ली. जब पशु गाभिन हो जाता है और बच्चे को जन्म देने वाला होता है तो इस दौरान कई बातों का ख्याल रखना बेहद ही जरूरी होता है. इस दौरान पशुओं की देखभाल सही ढंग से और एक्सपर्ट के बताये गये तरीकों के मुताबिक होनी चाहिए. इससे पशुओं को परेशानी से बचाया जा सकता है और बच्चा भी हेल्दी पैदा होता है. वहीं दूध उत्पादन भी बेहतर रहता है. अगर सही ढंग से देखभाल न की जाए और इसमें लापरवाही की जाए तो फिर हो सकता है कि पशु को कई गंभीर समस्या हो जाए. खानपान पर भी ध्यान देने की जरूरत होती है.
एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि मां के गर्भ में बच्चे का विकास पांच-से छह महीने तक तो धीरे-धीरे होता है. इसके बाद विकास की चाल बढ़ जाती है. इसलिये गर्भकाल के आखिरी दो महीनों में रोज दी जाने वाली खुराक के अलावा 1 से 1.5 किलोग्राम अतिरिक्त दाना मिश्रण, 15 से 20 किलोग्राम हरा चारा व 20 से 30 ग्राम मिनरल मिक्चर देना चाहिये. ब्याने के कुछ दिन पहले दाना मिश्रण की मात्रा को 2 से 2.50 किलोग्राम तक बढ़ाया जाना ठीक रहता है.
थन में सूजन आने पर करें ये काम
गाभिन गाय-भैंस को ब्याने के करीब 10 दिन पहले से 1 से 1.5 किलोग्राम तुस दिया जाये तो पेट साफ रहेगा. पशु को जरूरी मात्रा में फासफोरस मिलेगा व पशु का प्रसव आसानी से होगा. अधिक दाना मिश्रण खिलाने पर यदि थनों में सूजन नजर आये तो घबराना नहीं चाहिये. बस आपको ये करना है कि तुरंत दाना मिश्रण की मात्रा घटा दें. गाभिन गाय-भैंस को उचित मात्रा में पानी अवश्य पिलाना चाहिये. वहीं ब्याने के लक्षण दिखाई देने पर गर्भवती गाय-भैंस को अन्य पशुओं से अलग घास के सूखे गुदगुदे बिछावन पर बांधे और समय-समय पर गर्भवति पशु की जांच करते हैं.
तुरंत पशुओं के डॉक्टर को बुलाएं
ब्याने से पहले गाय को थूली और गुड़ खाने को दें. प्रसव का दर्द आमतौर पर 2 से 6 घंटे तक रहता है. यदि यह दर्द लम्बे समय तक चले तो पशु-चिकित्सक से सम्पर्क करें. वहीं मुतास आने के बाद भी पशु को ब्याने में तीन-चार घंटे लग जाते हैं. यदि मुतास आने के 3-4 घंटे बाद भी बच्चा बाहर नहीं आये तो छेड़खानी कभी भी न करें. न हीी किसी को करने दें. ऐसा होने पर पशु चिकित्सक की मदद से प्रसव करावें, एक्सपर्ट का कहना है पशु चिकित्सक समस्या को समझ कर आसानी से बच्चा पैदा करवा सकते हैं.
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