नई दिल्ली. तालाब में मछली के बीज के संचयन करने से 15 दिन पहले तालाब में गोबर डाल देना चाहिए. आधा एकड़ के तालाब में 500 किलो गोबर 1000 किलो प्रति एकड़ और फिर प्रति महीने 400 किलोग्राम गोबर डाला जाता है. गोबर को तालाब में किसी एक कोने में डाल देना चाहिए. यहां से धीरे-धीरे करके पानी में घुल जाएगा. मिट्टी की जांच के परिणाम के बाद अगर फास्फेट की कमी हो तो मछली संचयन के पहले महीने में डीएपी 8 किलो का डालना चाहिए. फिर हर महीने 12 किलो खाद डालते जाना चाहिए.
रासायनिक खाद का प्रयोग हमेशा पानी में घोलकर पूरे तालाब में सेट कर करना चाहिए. ताकि पानी अच्छी तरह से घुस सके. तालाब में पानी के अंदर लकड़ी का मचान बनाकर उस पर रासायनिक खाद रख देने से भी या धीरे-धीरे पानी में घुलता रहेगा और उसका अच्छी तरह से उपयोग हो सकेगा.
खाद का प्रयोग कब करना चाहिए
मछली संचयन के 15 दिन पहले गोबर का प्रयोग करें. इसके बाद हर महीने गोबर डालते रहें. जब तक की पानी का रंग जब मटमैला न हो जाए. अगर पर्याप्त प्राकृतिक भोजन की उपज न हो तो पानी के रंग से भी पता चल जाएगा. अगर हरा और भूरा है तो ठीक है. खाद का प्रयोग करें.
तो बंद कर दें खाद का इस्तेमाल
अगर पानी का रंग ज्यादा हरा हो गया है तो सतह पर काई जमा हो जाए तो खाद का प्रयोग बंद कर दें. पानी से बदबू आने पर खाद का प्रयोग बंद कर दें. मछली में बीमारी के लक्षण दिखने पर ठंड के मौसम में जब पानी का तापमान बहुत कम हो. पानी में ऑक्सीजन की कमी होने पर भी खाद नहीं डालना चाहिए.
चूना का प्रयोग कब करना चाहिए
चूना पानी की क्षारीयता को बढ़ाता है और मिट्टी के में कैल्शियम की उपलब्धता को बढ़ाता है. ऑक्सीजन की कमी के कारण दूसरी विषैली गैस को नियंत्रित करता है. पानी को साफ रखता है. गोबर को सड़ाने में मदद करता है. मछलियों बीमारी से बचाता है. पानी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाता है और प्राकृतिक भोजन के निर्माण में मदद करता है.
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