नई दिल्ली. अक्सर पशु चरते समय प्लास्टिक या पॉलीथीन की थैलियां खा लेते हैं. यह इसलिए होता है कि अक्सर पॉलिथीन के अंदर घर से बचा हुआ खाना या कोई ऐसा सामान गृहणी फेंक देती हैं जिसके चलते पशु उसकी ओर आकर्षित होते हैं और प्लास्टिक को खा लेते हैं. इससे न सिर्फ पशुओं को नुकसान होता है बल्कि उसे पशु का दूध सेवन करने वाले किसी भी व्यक्ति को भी इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है. कई बार तो यह प्लास्टिक की थैलियां पशुओं की मौत का कारण बन जाती हैं. इसलिए पशुओं को प्लास्टिक की थैलियां खाने से बचाना चाहिए. ऐसा क्यों होता है और इसे कैसे रोका जा सकता है इसके बारे में लिए जानते हैं.
एक्सपर्ट कहते हैं कि प्लास्टिक खान की पशुओं की तीन मुख्य बड़ी वजह हैं पशुओं के शरीर में खनिज तत्वों की जब कमी होती है तो पशु प्लास्टिक खा लेते हैं. कई बार पशुओं को संतुलित पशु आहार नहीं प्रदान किया जाता यह भी एक कारण है. प्लास्टिक खाने की तीसरी वजह ये है कि जब पशुओं को चरने के लिए छोड़ दिया जाता है तो वह कुछ भी खा लेते हैं यदि उनकी निगरानी की जाए तो ऐसा ना हो.
क्या है प्लास्टिक खाने के लक्षण
पशुचिकित्सा एवं पशुपालन प्रसार शिक्षा विभाग स्नातकोत्तर पशुचिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान जयपुर की ओर से जारी जानकारी के मुताबिक चारा व पशु आहार खाने में अरूचि दिखाने लगते हैं. उन्हें बैचेनी होने लगती है और दूध उत्पादन में कमी कर देते हैं. उन्हें पेट में दर्द होता है. बार-बार हल्का आफरा आना/रूमेन टिम्पेनी की समस्या रहती है. रूमेन का कठोर महसूस होना भी इसका लक्षण है. एबोमेजम का डिस्पलेसमेंट होता है. आंतों में अस्थाई रूप से रुकावट आना भी समस्या है.
क्या है बचाव व उपचार
लोगों को पॉलीथीन का प्रयोग रोकने के लिए जागरूक करना चाहिए. जिससे पशुओं को पॉलीथीन के दुष्प्रभाव से बचाया जा सकता है. गृहणियों को घर के कूड़े, सब्जी व बचा हुआ भोजन इत्यादि को पॉलीथीन में डालकर या बांधकर नहीं फेंकना चाहिए. पशुओं को खनिज तत्व मिश्रण तथा संतुलित पशु आहार देना चाहिए. उपचार के लिए पशुचिकित्सक की सलाह से पशुओं की रूमिनाटॉमी ऑपरेशन करवानी चाहिए. जो इसका सबसे अच्छा उपचार है, सरकार को पॉलीथीन के उपयोग पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाना चाहिए. अगर सरकार की ओर ऐसा कर दिया गया तो काफी हद तक फायदा होगा.
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