नई दिल्ली. भेड़ों को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक है कि उनको पौष्टिक भोजन, पानी, नमक आदि नियमित रूप से समय पर मिलते रहे. रोगों से छुटकारा पाने के लिए इस बात का विशेष ध्यान रखने की जरूरत पड़ती है कि जो चारा या पानी भेड़ों को दिया जाए वह साफ सुथरा हो. चूंकि ज्यादातर भेड़े चारागाहों में चरकर अपना भोजन तलाश कर लेती हैं तो यहां पशुपालकों को इस बात का ध्यान देना चाहिए कि ऐसी चारागाहों में चरने के लिए न ले जाएं जहां पर घास उनकी सेहत को नुकसान पहुंचा दे.
यदि अच्छी घास मिले तो भेड़े स्वयं ही पूरी तरह अपना पेट भर लेती हैं. यदि घास अच्छी न हो तो भेड़े कम खाती हैं. इसलिए समूचे साल में ये कोशिश होना चाहिए कि उनको अच्छा चारागाह मिलता रहे. यह तभी सम्भव है जब उन्हे चराने की व्यवस्था ठीक हो जाए. प्रयास यह होना चाहिए कि उन्हें दो तीन प्रकार की चारागाह उपलब्ध हो. चारागाहों को इतना अधिक न चराया जाए कि उससे पौधे ही नष्ट हो जाएं.
घास के मुताबिक भेड़ों को ले जाएं
एक्सपर्ट कहते हैं कि चारे की अच्छी फसल उपलब्ध करवाने के लिए पौधों को पनपने के लिए उन्हे अंतर से चराया जाना ही बेहतर होता है. यह तभी संभव है कि जब चारागाहों को बदलते रहा जाए. कभी कभी चारागाह में घासों के पुररूत्थान के लिए यह भी आवश्यक हो जाता है कि उनमें बीज बनने दिया जाए. ताकि चारागाह में वे घासें बनी रहें. इसके अतिरिक्त चारागाहों में भेड़ों की संख्या वहां की घास और चारागाह को देखते हुए निर्धारित होनी चाहिए.
इत्मिनान से भेड़ को चरने दें
भेड़ों को चरने का स्वाभाविक समय प्रातः या दोपहर के कुछ समय बाद है. बीच में भी भेड़े थोड़ा-2 चरती रहती हैं. इसलिए सीमित समय चारागाहों में रखना उचित नहीं है. चारागाहों में भेड़ों को बहुत कम हांकना या भड़काना चाहिए. एक्सपर्ट कहते हैं कि यदि भेड़ों को बार—बार हांकते रहे तो वो चाव के साथ चारा नहीं खा पाएंगी. इसके चलते उन्हें जरूरत के मुताबिक चारा नहीं मिल पाएगा. इसलिए भेड़ों को चराते समय ये ध्यान दें कि उन्हें चरने का पूरा मौका मिलना चाहिए.
भेड़ पालन का है कई फायदा
बताते चलें कि भेड़ों ऐसे पशु हैं जिनसे से सदियों से इंसानों को भोजन व कपड़ा तो मिलता ही है. जबकि भेड़ की मेगनियों से भूमि उपजाऊ बनती हैं और इसका प्रभाव भूमि में काफी समय तक रहता है. इससे किसानों को खेतों में कम खाद का इस्तेमाल करना पड़ता है. भेड़ पालन मीट के लिए भी किया जाता है. इसका मीट बेहद ही पौष्टिक होता है. भेड़ बकरियों की तरह पेड़ की बढ़वार को कोई हानि नहीं पहुंचाती हैं.
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