नई दिल्ली. पशु-पक्षी के कारण इंसानों में जिन बीमारियों का प्रसार होता है, उन्हें जूनोटिक कहा जाता है. ये बीमारियां पशु-पक्षी के मल-मूत्र की साफ-सफाई न करने से हुये गंदे वातावरण में विभिन्न प्रकार के कीट- पतंगों जैसे मच्छर, मक्खियों, किलनियों, जूं आदि की संख्या में वृद्धि होती हैं. ये कीट-पतंगें जूनोटिक रोगों को बढ़ाने व फैलाने में मुख्य भूमिका निभाते हैं. इनके द्वारा विभिन्न प्रकार के पशुजनित रोगों जैसे जापानी मस्तिष्क ज्वर, प्लेग, क्यासानूर जंगल रोग, फाइलेरिया, रिलेप्सिंग ज्वर, रिकेटिसिया रोग व कई अन्य विषाणु जीवाणु व परजीवी जनित प्राणिरुजा रोगों का मनुष्यों में प्रसार किया जाता हैं.
एक अनुमान के अनुसार कीट-पतंगों द्वारा लगभग 200 वायरस जेनरेटिक रोग इंसानों में फैल सकते हैं. गंदे वातावरण में अस्वच्छ बर्तनों व हाथों द्वारा तैयार किये जाने वाले खाद्य पदार्थ विषेषतः यदि कच्चे या बिना पूरी तरह पकाये गये पशु उत्पादों जैसे दूध, पनीर, अंडे, मांस व मछली से बनाये गये हों तो इनके सेवन से होने वाले खाद्यजनित संक्रमण तथा प्वाइजनिंग के लक्षण अतिसार, उल्टी, तेज ज्वर तथा पेट दर्द के रूप में प्रायः देखने व सुनने में आते हैं. इन पदार्थों के रख-रखाव, भंडारण व विक्रय हेतु इन्हें शहरी क्षेत्रों में ले जाते समय में की गई असावधानियों भी जानवरों से होने वाले रोगों के विस्तार के लिए जिम्मेदार हैं. इन रोगों के प्रसार व इजाफे का एक और महत्वपूर्ण कारण बाजारों, होटलों व ढाबों में तुरंत सेवन हेतु तैयार संक्रमित खाद्य पदार्थों का बढ़ता प्रचलन भी है.
वायरस इन वजहों से इंसानों के शरीर में फैलता है
- दूषित आहार (चारा, दुग्ध, मांस) के सेवन से
- गन्दा पानी पीने से
- अनुचित प्रजनन द्वारा
- अधिक पशुओं के एक साथ रहने पर
- इंसानों व पशुओ के एक छत के नीचे साथ-साथ रहने पर
- इमप्रॉपर मैनेजमेंट के जरिए
- हर दिन पशुओं के सम्पर्क में आने पर
- पशुओं द्वारा खरोंचे अथवा काटे जाने पर
- प्रदूषित वातावरण अथवा गन्दे बाडे द्वारा
- व्यवसायिक सम्पर्क द्वारा
- मृत पशुओं के शवों के अनुचित स्थानान्तरण एवं निस्तारण द्वारा
छुआ छूत के भी कारण
- त्वचा द्वारा
- भोजन प्रणाली द्वारा
- सांस की नली द्वारा
- आंखों की झिल्ली कंजक्टाइवा द्वारा
- जेनेटालिया तथा पेशाब की नली के जरिए
- गर्भनाल द्वारा
- नाभि द्वारा
- अयन तथा थनों द्वारा
- अण्डे द्वारा
- संक्रमित वीर्य द्वारा
हमारे देश में पशुओं और इंसानों को प्रभावित करने वाले जानवरों के जरिए फैलने वाले रोग इस प्रकार है.
(1) ‘स्वाइन फ्लू’ या ‘स्वाइन इनफ्लूएंज़ा’ या ‘शूकर फ्लू’ शूकर से आये एच एन1 विषाणु द्वारा हवा से फैलने वाली मनुष्यों की अत्यन्त संक्रामक पूरी दुनिया में फैलने वाली महामारी है.
(2) ‘बर्ड फ्लू’ या ‘पक्षी फ्लू’ या ‘अतिउग्र पक्षी फ्लू’ (एचऽ एन1 नामक विषाणु द्वारा हवा से फैलने वाली मुर्गियों की अत्यन्त संक्रामक महामारी).
(3) ‘रेबीज’ या ‘अर्लक रोग’ (पागल कुत्ते के काटने से होने वाला जानलेवा रोग).
(4) ‘जापानी मस्तिष्क ज्वर’ या ‘जेपेनीज बी मस्तिष्क शोथ’ (संक्रमित मच्छर के काटने से इंसानों व घोड़ों में घातक इंसेफेलाइटिस या लकवा, तथा शूकरों में गर्भपात करने वाला अत्यन्त गंभीर रोग).
(5) ‘क्यासानूर फोरेस्ट रोग’ (संक्रमित किलनी के काटने से होने वाला इंसेफेलाइटिस व रक्तस्राव करने वाला संक्रमण).
(6) ‘पीलिया’ या ‘यकृत शोथ’ (रोगी पशु अथवा मनुष्य के मल से संक्रमित जल द्वारा होने वाला आंत्र संक्रमण).
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